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‘घास खाकर भी बनाएंगे परमाणु बम’, गरीबी दर 35.7 फीसदी बढ़ी, और कितना गिरेगी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था?

‘घास खाकर भी बनाएंगे परमाणु बम’, गरीबी दर 35.7 फीसदी बढ़ी, और कितना गिरेगी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था?

‘घास खाकर भी बनाएंगे परमाणु बम’, गरीबी दर 35.7 फीसदी बढ़ी, और कितना गिरेगी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था?

साल 1971 के युद्ध में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में अपना एक हिस्सा गंवाने के बाद सत्ता संभालने वाले पाकिस्तान के वजीर-ए-आला जुल्फिकार अली भुट्टो ने एक वक्त में ये ऐलान किया था कि भारत से 100 साल जंग लड़ेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि घास फूस खाकर भी भारत के खिलाफ पाकिस्तान परमाणु बम जरूर बनाएगा। भुट्टो का ये ऐलान पांच दशक बाद हकीकत बनता जा रहा है और लगता है कि आने वाले वक्त में पाकिस्तान को घास फूंस खाकर ही जिंदा रहने की नौबत आ जाए। पैसे-पैसे का मोहताज पाकिस्तान ने अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए भीख का कटोरा लिए कभी सऊदी तो कभी चीन के दरवाजे पर दस्तक दी। मिन्नते की और आर्थिक मदद के लिए गुहार भी लगाई। लेकिन पाकिस्तान की गरीबी पर एक और बड़ी खबर सामने आई है। पाकिस्तान का गरीबी स्तर 35 फीसदी से ज्यादा बढ़ा। इसके साथ ही पाकिस्तान में खाने-पीने की चीजें 20 फीसदी तक और महंगी हो गई हैं। पाक स्थानीय मीडिया इंतेखाब डेली ने बताया कि पाकिस्तान की गरीबी दर में 35.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और खाद्य पदार्थों की कीमतों में 20 से 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय गरीबी सूचकांक की सूची में 116 देशों में से 92वें स्थान पर है।

खाद्य सुरक्षा बुरी तरह प्रभावित 

इंतेखाब डेली की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान को सलाह दी जाती है कि वह मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए एक प्रणाली विकसित करे क्योंकि मुद्रास्फीति पिछले कुछ वर्षों से खाद्य सुरक्षा को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा पहले से ही आतंकवादी गतिविधियों, अफगानिस्तान के साथ संघर्ष और मौसम परिवर्तन से प्रभावित थी। बढ़ती महंगाई ने इसे और खराब कर दिया है।

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बहुत खराब स्थिति में है आर्थिक स्थिति

इंतेखाब डेली ने बताया कि तेजी से और लगातार बढ़ती महंगाई ने लोगों को उनके भोजन और बुनियादी सुविधाओं से वंचित कर दिया है। पाक स्थानीय मीडिया कविश ने बताया कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बहुत खराब स्थिति में है। कराची हवाई अड्डे से अपना माल बाहर निकालने के लिए व्यापारिक समुदाय के लोग आयात खेप निकासी अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं। बैंकों में डॉलर की किल्लत से यह स्थिति पैदा हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉलर का परिदृश्य देश में ऐसी सबसे अविश्वसनीय स्थिति में पहुंच गया है।

वित्त मंत्री और उनकी टीम रही विफल

कारोबारी समुदाय इस बात को लेकर चिंतित है कि कराची बंदरगाह से अपना माल कैसे निकाला जाए। कवीश ने बताया कि वित्त मंत्री और उनकी टीम स्थिति को नियंत्रण में लाने में बुरी तरह विफल रही है। विदेशी मुद्रा भंडार अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। सरकारी विनिमय दर 224-225 रुपये है लेकिन बैंकों का कहना है कि उनके पास डॉलर की कमी है और इसलिए वे कहते हैं कि वे डॉलर नहीं दे सकते हैं और इसलिए ग्रे/ब्लैक मार्केट में डॉलर की कीमत 240 रुपये या उससे अधिक है।

Poverty rate increased to 35 percent and how much will pakistan economy fall

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