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प्रभासाक्षी की 21वीं वर्षगाँठ पर विचार मंथन कार्यक्रम में जुटे देश के जानेमाने नेता, अहम मुद्दों पर रखे विचार

प्रभासाक्षी की 21वीं वर्षगाँठ पर विचार मंथन कार्यक्रम में जुटे देश के जानेमाने नेता, अहम मुद्दों पर रखे विचार

प्रभासाक्षी की 21वीं वर्षगाँठ पर विचार मंथन कार्यक्रम में जुटे देश के जानेमाने नेता, अहम मुद्दों पर रखे विचार

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क की 21वीं वर्षगाँठ पर विभिन्न सामयिक विषयों पर आधारित ऑनलाइन परिचर्चाओं के कार्यक्रम 'प्रभासाक्षी विचार मंथन' का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपने विचार रखे। पहली परिचर्चा का विषय था- क्या तीखी और ध्रुवीकरण वाली बहसों के इस दौर में दब कर रह जाते हैं असल समाचार? इस परिचर्चा में भाजपा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री प्रेम शुक्ला और भाजपा विधायक एवं प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि प्रभासाक्षी ने एक महत्वपूर्ण विषय पर परिचर्चा आयोजित करने का साहस दिखाया है क्योंकि अधिकतर देखा जाता है कि मीडिया आत्मचिंतन से बचता है। डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने माना कि टीवी चैनलों पर बहसें उग्र रूप लेती जा रही हैं जिससे बचना चाहिए। श्री प्रेम शुक्ला ने कहा कि बहसों में जिन लोगों को आमंत्रित किया जाता है वह अधिकतर विषय विशेषज्ञ नहीं होते इसलिए भी समस्या आती है। वहीं श्री शलभ मणि त्रिपाठी ने उदाहरण देते हुए बताया कि टीआरपी की जंग में मीडिया गलत दिशा में जा रहा है जिस पर ध्यान देना होगा।

प्रभासाक्षी की परिचर्चा का अगला विषय था- कैसे लोकतांत्रिक परम्पराओं को मजबूत करने में डिजिटल मीडिया अपनी भूमिका निभा सकता है? इस परिचर्चा में भाग लेते हुए प्रयागराज की सांसद श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि आजादी के आंदोलन के समय से मीडिया का महत्वपूर्ण स्थान रहा है लेकिन सोशल मीडिया के इस युग में कुछ चिंताएं भी खड़ी हुई हैं जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

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प्रभासाक्षी विचार मंथन की नई परिचर्चा 'आजादी के अमृत काल में कितना बदला जम्मू-कश्मीर' में भाग लेते हुए जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व विकास हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई कि वहां आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की सरकार बनेगी। साथ ही विपक्ष पर बरसते हुए रैना ने उन पर जम्मू-कश्मीर के साथ धोखा करने का आरोप भी लगाया। श्री रैना ने भरोसा दिलाया कि जल्द ही पीओके भारत के साथ जुड़ा होगा।

प्रभासाक्षी विचार मंथन की अगली परिचर्चा 'अपने सांस्कृतिक मूल्यों की ओर लौटने को भारत क्यों आतुर दिख रहा है' में भाग लेते हुए वरिष्ठ और लोकप्रिय अधिवक्ता श्री विष्णु शंकर जैन ने कहा कि बदलते भारत में आज हम उन विषयों पर भी खुलकर बोल पा रहे हैं जिन पर हमें पहले बोलने नहीं दिया जाता था। ज्ञानवापी मामले पर जानकारी देते हुए उन्होंने भरोसा दिलाया कि यह मुद्दा सुलझेगा लेकिन इसमें समय लग सकता है।

प्रभासाक्षी की अगली परिचर्चा 'चिकित्सा शिक्षा की तरह न्यायिक क्षेत्र में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार क्या कदम उठा रही है?' में भाग लेते हुए केंद्रीय कानून राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने अंग्रेजी को शोषण की भाषा बताते हुए कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में लोगों को उनकी मातृभाषा में हर चीज उपलब्ध कराने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने अंग्रेजों के जमाने के कानून भी खत्म किये हैं और जनता को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से राहत पहुँचाई है। एसपी सिंह बघेल ने इस अवसर पर 21 महानुभावों को प्रभासाक्षी के वार्षिक हिंदी सेवा सम्मान से भी पुरस्कृत किया।

इससे पहले, परिचर्चाओं के शुभारम्भ के समय वक्ताओं और दर्शकों का स्वागत करते हुए प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि प्रभासाक्षी की 21वीं वर्षगाँठ सिर्फ प्रभासाक्षी परिवार के लिए ही नहीं बल्कि हर हिंदी प्रेमी के लिए हर्ष का दिवस है क्योंकि जो सपना भारत में इंटरनेट के आगमन के साथ देखा गया था वो आज सच हो रहा है। आज मोबाइल पर, कम्प्यूटर पर, सोशल मीडिया पर हर जगह हिंदी में सबकुछ है। यह हिंदी की ताकत ही तो है कि आपने नहीं बल्कि आपके मोबाइल, कम्प्यूटर और सोशल मीडिया मंचों ने हिंदी सीखी है ताकि आप जब उसका उपयोग करें तो आपको आसानी हो।

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उन्होंने कहा कि जहां तक इंटरनेट पर हिंदी की ताकत और उत्साह बढ़ाने संबंधी यात्रा की बात है तो आप सभी जानते हैं कि जब इंटरनेट पर हिंदी समाचार वेबसाइटों का आगमन हुआ था तभी से प्रभासाक्षी आप सभी के बीच में है। उन्होंने कहा कि भारत के शुरुआती हिंदी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी का आरम्भकाल से ही एक लक्ष्य था कि मातृभाषा हिंदी में सुविधाजनक फॉन्टों के साथ पाठकों को हर वह जानकारी मुहैया हो जोकि अंग्रेजी पाठकों के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध है। नीरज कुमार दुबे ने कहा कि प्रभासाक्षी ने जो लक्ष्य तय किया था उसे सफलतापूर्वक पूरा किया और तकनीक के सहयोग से स्वयं को बदलते हुए सदैव अपने पाठकों की ज्ञान और सूचना शक्ति को समृद्ध किया। उन्होंने कहा कि आज अपनी 21वीं वर्षगाँठ के समय हम अपने सभी पाठकों और दर्शकों को विश्वास दिलाते हैं कि आपका विश्वास बरकरार रखने के लिए हम निरन्तर प्रयास करते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि आजादी के अमृतकाल में देश का हर क्षेत्र बदल रहा है तरक्की कर रहा है तो मीडिया क्यों पीछे रहे। मीडिया भी तकनीक का सहयोग लेकर खुद में नयापन लाते हुए तेजी से आगे बढ़ रहा है। परन्तु आगे बढ़ने की इस होड़ में मीडिया के प्रति जनता का विश्वास कम होता जा रहा है। नीरज कुमार दुबे ने कहा कि आज ऐसी स्थिति आ गयी है कि कोई भी खबर अगर आपके टीवी, मोबाइल या कम्प्यूटर पर आयी है तो आप उस पर तभी विश्वास करते हैं जब एक दो जगह उसके बारे में पड़ताल कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि यही नहीं विभिन्न सामयिक विषयों पर टीवी चैनलों पर जो बहसें होती हैं वह मुद्दे से जुड़े पहलुओं को उबारने और समस्या के प्रति लोगों को जागरूक करने की बजाय इतनी तीखी हो जाती हैं कि लोग एक दूसरे के माता पिता पर जुबानी हमला करने लग जाते हैं या फिर यह बहसें इतनी उग्र हो जाती हैं कि साम्प्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने लगती हैं। इस सारे शोर में असल समाचार दब कर रह जाते हैं। इस सबसे यकीनन देश और समाज का नुकसान होता है।

नीरज कुमार दुबे ने कहा कि राष्ट्र प्रथम की भावना से कार्य करने वाले भारत के आरम्भिक हिंदी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी के बारे में सभी जानते हैं कि यह सूत्रों नहीं, तथ्यों के हवाले से खबरें प्रकाशित करता है। उन्होंने बताया कि प्रभासाक्षी का सफर दिल्ली में एक छोटे-से कार्यालय से शुरू हुआ था और इन 21 वर्षों में जम्मू-कश्मीर से लेकर दक्षिण और पूर्वोत्तर के कई राज्यों तक हमारी शाखाएं पहुँच चुकी हैं। उन्होंने कहा कि आज हिंदीभाषी राज्यों के विभिन्न शहरों में तो प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के ब्यूरो हैं ही साथ ही हमने दक्षिणी, पश्चिमी और पूर्वोत्तर राज्यों में भी अपनी पकड़ बनाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह प्रभासाक्षी का सौभाग्य है कि आरम्भकाल से ही इसे देशभर के हिंदी लेखकों और पत्रकारों का साथ मिला है और इसी टीम भावना का मजबूती से प्रदर्शन करते हुए हम अपना मुकाम बनाने में तेजी से सफल हुए हैं। नीरज कुमार दुबे ने कहा कि हम आप सभी उपस्थितजनों को बताना चाहेंगे कि प्रभासाक्षी ने सदैव पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों का अक्षरशः पालन किया है। आज के इस महत्वपूर्ण अवसर पर हमें देशभर से जो शुभकामना संदेश और बधाइयां मिल रही हैं उसके लिए मैं पुनः आप सभी का आभार व्यक्त करता हूँ।

उन्होंने बताया कि प्रभासाक्षी ने अपनी 17वीं वर्षगाँठ से वार्षिक हिंदी सेवा सम्मान प्रदान किये जाने की शुरुआत की थी जोकि हिंदी भाषा के लेखकों, पत्रकारों और सोशल मीडिया मंच के माध्यम से हिंदी की सेवा करने वाले महानुभावों को प्रदान किये जाते हैं। इस वर्ष के हिंदी सेवा सम्मान के लिए जिन महानुभावों का चयन किया गया है वह इस प्रकार हैं- डॉ. वर्तिका नंदा, डॉ. गोविंद सिंह, नवरत्न, उमेश चतुर्वेदी, आशीष कुमार अंशु, प्रो. हरीश अरोड़ा, डॉ. रमा, तज़ीन नाज़, दीपक कुमार त्यागी, ब्रह्मानंद राजपूत, योगेन्द्र योगी, मृत्युंजय दीक्षित, दीपक गिरकर, संतोष पाठक, रमेश ठाकुर, विजय कुमार, अनीष व्यास, राकेश शर्मा, पवन मलिक, अवधेश शर्मा और विष्णु शर्मा।

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