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प्रचंड ने समृद्धि के लिए सामूहिक प्रयास को जरूरी बताया

प्रचंड ने समृद्धि के लिए सामूहिक प्रयास को जरूरी बताया

प्रचंड ने समृद्धि के लिए सामूहिक प्रयास को जरूरी बताया

नेपाल के नए प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने सोमवार को कहा कि देश में समृद्धि हासिल करने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक है। इसके साथ ही उन्होंने विश्वास जताया कि नयी संसद लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने में सफल रहेगी। नेपाल में नवंबर में हुए आम चुनावों के बाद प्रतिनिधि सभा की पहली बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री प्रचंड ने यह भी कहा कि सांसदों द्वारा संसद को परीक्षा केंद्र के रूप में लिया जाना चाहिए। नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने नौ जनवरी को नयी संसद का पहला सत्र बुलाया था।

माई रिपब्लिका समाचार पत्र की एक खबर के अनुसार, प्रधानमंत्री प्रचंड ने सांसदों से कहा कि लोगों ने उन्हें इस शर्त पर चुना है कि हम सुशासन के साथ समृद्धि करेंगे और इसे सार्थक बनाने के लिए संसद को एक परीक्षा केंद्र के रूप में लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को चुनाव के दौरान लोगों से किए गए सुशासन और खुशहाली के वादों को पूरा करने के लिए एक साथ आना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों की अपेक्षाओं, शिकायतों, हितों और चिंताओं को तुरंत दूर करने के अलावा राजनीतिक दलों के पास कोई विकल्प नहीं है।

सीपीएन-माओवादी सेंटर के 68 वर्षीय नेता प्रचंड ने पिछले साल 26 दिसंबर को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। लेकिन उससे पहले उन्होंने नाटकीय रूप से नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले, चुनाव पूर्व गठबंधन से अलग होकर विपक्ष के नेता केपी शर्मा ओली के साथ हाथ मिला लिया था। उन्हें अपनी नियुक्ति के 30 दिनों के भीतर विश्वास मत हासिल करना है। प्रधानमंत्री प्रचंड को सदन में स्पष्ट बहुमत के लिए 138 मतों की जरूरत है।

उन्हें ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) और नवगठित राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) सहित सात दलों का समर्थन प्राप्त है। प्रधानमंत्री के मंगलवार को विश्वास मत प्राप्त करने की संभावना है। प्रचंड के विश्वास मत हासिल करने के बाद सदन के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, पहली संसदीय बैठक के 15 दिनों के भीतर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव किया जाना चाहिए।

Prachanda said collective effort necessary for prosperity

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