चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने पेगासस सूची में अपना नाम शामिल होने का जिक्र करते हुए मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर कटाक्ष किया। अपनी जन सुराज पदयात्रा के 31वें दिन मंगलवार को प्रशांत किशोर ने पश्चिम चंपारण जिला के लौरिया प्रखंड में पत्रकारों से बातचीत में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल पर प्रहार करते हुए कहा, ‘‘जायसवाल को पता है कि मैं नीतीश कुमार से रोज बात करता हूं, उनकी सरकार (केंद्र में) है, मेरा नंबर पहले से पेगासस की लिस्ट में है, जांच करवा लें।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘संजय जायसवाल की घबराहट ये है की बैठे-बैठे उनको और उनके दल को जो मुफ्त का वोट मिलता रहा है। वो इस नाम पर मिलता रहा है की जो लोग लालू जी (राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख) को वोट नहीं देना चाहते, वे भाजपा से नाराज होकर भी भाजपा को वोट दे देते हैं।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘लालू जी लोगों भाजपा का डर दिखाकर वोट मांगते हैं। अब इन लोगों की छटपटाहट ये है कि अगर जनता ने मिलकर अपना विकल्प बना लिया तो फिर उनको कौन वोट देगा, इसी बौखलाहट में बेचारे अनाप-शनाप बक रहे हैं।’’
देश में कई राजनेताओं, नागरिक अधिकार के लिए संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और अन्य सार्वजनिक हस्तियों के नाम कथित पेगासस सूची में शामिल थे, जब 2020 में यह मामला प्रकाश में आया था। किशोर तब ममता बनर्जी के चुनावी अभियान को संभाल रहे थे। हालांकि, भाजपा का विरोध करने वाली पार्टियां जासूसी के आरोपों की जांच की मांग कर रही हैं लेकिन सत्ताधारी दल ने पूरे मामले को भारत को बदनाम करने के लिए एक ‘‘अंतरराष्ट्रीय साजिश’’ करार दिया।
किशोर ने ‘‘जन सुराज’’ अभियान की शुरुआत की है और उन्हें 3500 किलोमीटर लंबी अपनी पदयात्रा के पूरा होने के बाद इस अभियान के एक पूर्ण राजनीतिक दल के रूप में विकसित होने की उम्मीद है जो कि गृह राज्य को बेहतर राजनीतिक विकल्प दे सकता है। किशोर के इस जन सुराज अभियान ने भाजपा के साथ-साथ मुख्यमंत्री की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) (जद-यू) को भी नाराज कर दिया और दोनों पार्टियां उन पर एक-दूसरे का ‘‘एजेंट’’ होने का आरोप लगा रही हैं। किशोर लंबे समय से नीतीश पर प्रहार करते रहे हैं।
उन्होंने एक बार फिर नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘नीतीश कुमार पेंडुलम की तरह भाजपा और राजद के बीच लटके हुए रहते हैं। कभी इसके साथ तो कभी उसके साथ। उनके लिए कुर्सी सबसे महत्वपूर्ण है। महागठबंधन को जो लोग भाजपा के खिलाफ मजबूत विकल्प समझ रहे हैं वो भ्रम में हैं। उपचुनाव ख़त्म होते ही दोनों पार्टियों में सर फुटौवल चालू हो जाएगा। उन्होंने कहा था कि मिट्टी में मिल जाऊंगा लेकिन भाजपा के साथ नहीं जाऊंगा और कितनी आसानी से वो भाजपा के साथ चले गए।’’
उन्होंने कहा कि लोगों का नीतीश कुमार से विश्वास ख़त्म हो गया है। उन्हें डर है कि नीतीश फिर से पलटी ना मार दें। जदयू का राजनीतिक भविष्य ख़त्म हो चुका है। बिहार सरकार के कामकाज पर निशाना साधते हुए किशोर ने कहा, ‘‘सरकार से लोगों की उम्मीद ख़त्म हो गई है। लोगों के भीतर बहुत गुस्सा है। लालू-नीतीश के काम को अगर काम मान भी लें तब भी बिहार अभी बहुत पिछड़ा है। ग्रामीण सड़कों की स्थिति बहुत ख़राब है। लोग भारी बिजली के बिलों से परेशान हैं। नल-जल योजना का भी हाल बेहाल है।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘सरकारी दबाव में आकर अधिकारियों ने गांवों को गलत ओडीएफ (खुले में शौचमुक्त) घोषित कर दिया है। कृषि की लागत बढ़ी है और कमाई घट गई है। किशोर ने आरोप लगाया कि पश्चिम चंपारण के लोग अचानक आयी बाढ़ से परेशान हैं और विधायक, सांसद नदारद हैं। अधिकारियों को भी क्षेत्र का दौरा करने के लिए फुर्सत नहीं है। विधायक बिना कागज़ देखे अपने क्षेत्र के 35-36 पंचायतों के नाम तक नहीं बता सकते।
Prashant kishor slams bjp through pegasus
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