संयुक्त राष्ट्र। अभिनेत्री एवं निर्माता प्रियंका चोपड़ा जोनस ने कहा कि ‘‘सुरक्षित व स्वच्छ दुनिया’’ हर एक व्यक्ति का अधिकार है, जिसे वैश्विक स्तर पर एक साथ काम करके ही हासिल किया जा सकता है। अभिनेत्री ने यह बयान ऐसे समय में दिया है, जब सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने के लिए केवल आठ साल से कम का समय ही बचा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में 2022 के ‘एसडीजी मोमेंट’ की एक बैठक में प्रियंका ने दुनिया के समक्ष मौजूद कोविड-19 वैश्विक महामारी, जलवायु संकट और गरीबी जैसी कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों पर बात की।
प्रियंका ने कहा, ‘‘ हम एक महत्वपूर्ण समय में यह बैठक कर रहे हैं, ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर एकजुटता पहले से कहीं अधिक जरूरी है।’’ प्रियंका का यह बयान संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को यूट्यूब पर साझा किया। अभिनेत्री ने कहा, ‘‘देश कोविड-19 वैश्विक महामरी के भयावह प्रभावों से जूझ रहे हैं, जलवायु संकट जीवन व आजीविका को प्रभावित कर रहा है, संघर्ष बढ़ रहा है, गरीबी, विस्थापन, भुखमरी व असमानताएं दुनिया की उस नींव को कमजोर कर रहे हैं,जिसके लिए हमने काफी लंबे समय तक संघर्ष किया है।’’
यूनीसेफ (संयुक्त राष्ट्र बाल कोष) की सद्भावना दूत प्रियंका ने कहा, ‘‘ हमारी दुनिया में सब सही नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ संकट अचानक नहीं आते, लेकिन उन्हें एक योजना के जरिए ठीक जरूर किया जा सकता है। हमारे पास वह योजना है, संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य .... जिसे विश्व को हासिल करना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ इन लक्ष्यों को 2015 में विश्व भर के लोगों ने मिलकर तय किया था... हम जिस दुनिया में रह रहे हैं, उसे बदलने का हमारे पास एक असाधारण मौका है।’’
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, एसडीजी गरीबी को समाप्त करने, ग्रह की रक्षा करने और हर जगह हर किसी के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में आगे बढ़ने की एक सार्वभौमिक पहल है। इसके 17 लक्ष्यों को 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के हिस्से के रूप अपनाया था। इसके तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए 15 साल की योजना तैयार की गई है। इस समय सीमा के नजदीक आने की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए प्रियंका ने कहा कि दुनिया का वर्तमान व भविष्य ‘‘आपके हाथ में है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने लोगों के लिए यह करना होगा, हमें अपने ग्रह के लिए यह करना होगा। हम सुरक्षित व स्वच्छ दुनिया में रहने के हकदार हैं, लेकिन समय निकलता जा रहा है। 2030 के लिए निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने का आधा समय बीत गया है।
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