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करवा चौथ का उचित व्रत (व्यंग्य)

करवा चौथ का उचित व्रत (व्यंग्य)

करवा चौथ का उचित व्रत (व्यंग्य)

करवा चौथ की सुबह उठकर जब मैंने पत्नी को चूमकर, ‘हैप्पी करवा चौथ’ कहना चाहा तो नींद में डूबा जवाब मिला, ‘सुबह चार बजे सोई हूं, प्लीज़ सोने दो।’ वह अलसुबह उठकर आलू के परांठे बनाकर और खाकर सोई थी ताकि अगले दिन भूखा और प्यासा व्रत रख सके। थोड़ी देर बाद वह उठेगी, नहा धोकर पसंद के पुराने वस्त्र ही पहनेगी क्यूंकि उसे इतनी ज़्यादा वैरायटी में मनपसंद के कपड़े मिलने मुश्किल हो जाते हैं । वह साड़ी नहीं पहनेगी। कई अच्छी साड़ियां अटैची में बंद पड़ी हैं सोचती होंगी क्यूं खरीदा हमें । 

वह लाकर में रखे गहने भी नहीं मंगाएगी। सोचता हूं, बेचारा सोना इतना महंगा बिकता है लेकिन सामजिक पशुओं के डर के मारे अक्सर लॉकर में बंद रहता है। पत्नी से कहता रहता हूं बच्चों की शादियों में बढ़िया, महंगे, ब्रांडेड कपड़े और ज़ेवर खरीद रखे हैं उन्हें अब घर पर पहना लिया करो मगर नहीं पहनती। वह पारम्परिक या त्योहारों पर बाज़ार में बिक रही तड़क भड़क वाली विशेष चीज़ें, वस्त्र व खाद्य, न खरीदती, न पहनती और न ही खाती है। उसे जीवन में सौम्यता, सादगी, सरलता चाहिए। यानी ‘हाई फाई’ नहीं सिर्फ ‘वाई फाई’ चाहिए।

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आजकल तो युवा पतियों ने भी पत्नियों के लिए व्रत रखना शुरू कर दिया है। दोनों व्रत रखते हैं। समझाने वाले कहते हैं करवा चौथ को यह खाइए, वह खाइए, ऐसा पहनिए, उस तरह श्रृंगार करिए। पत्नियां खूब खर्च कर सिर्फ एक दिन पहने जाने वाले विशेष वस्त्र और गहने खरीदती हैं। बुकिंग कराकर दोनों ख़ास जगहों पर जाते, खाते और समय बिताते हैं। फिर वह वस्त्र और जूते, घर के किसी कोने या स्टोर में पड़े दुखी होते रहते हैं सोचते रहते होंगे क्या हम सिर्फ एक बार प्रयोग के लिए ही बने हैं। ऐसे पति के लिए व्रत रखना बिलकुल ज़रूरी नहीं है जिन्हें जीवन में असहयोग करते सालों हो गए हैं। अपनी जिम्मेवारी से भाग रहे हैं। पत्नी के आर्थिक सहयोग के शुक्रगुजार नहीं है। इस दिन व्रत की जगह सदबुद्धि हवन करवाना चाहिए ताकि पति में सुधार आने की संभावना का प्रसार हो ।

करवा चौथ के दिन सुबह पत्नी से प्रेम जताने का अवसर उसकी नींद ने नहीं दिया। मुझे लगता है रोज़ाना नियमित रूप से नाश्ता, दोपहर और रात का खाना पकाने वाला और घर का सारा काम करने वाला शरीर, एक दिन, रात तक भूखा रहे, पानी भी न पिए तो निढाल हो जाता है। वह बात अलग है कि दूसरों का किया घरेलू काम भी सबको कहां भाता है।  

मुझे पत्नी नामक ‘जीवन इंजन’ का एक दिन भी निढाल हो जाना असहज लगता है। क्या यह व्रत एक ख़ास दिन निढाल रहने के लिए रखा जाता है। पत्नी से कई बार कहता हूं कि व्रत रखने से ज़िंदगी लंबी नहीं होती हां व्रत का सबसे पहला और उचित फायदा स्वास्थ्य को होता है। व्रत नियमित रूप से रखना बहुत लाभदायक रहता है। इस तरह खाना बचाने का विचार भी बढ़िया है। शरीर और दुनिया की असली कैमिस्ट्री समझने वालों को इस दिन नया प्रयोग शुरू करना चाहिए। उन्हें मेरा सुविचार अपनाकर इस ख़ास दिन व्रत न रखकर, मनपसंद कपड़े पहनकर, पसंदीदा जगह मनचाहा खाने, दिलचाहा संगीत सुनने, हो सके तो शरीर चाही जगह पर जाकर बिताना चाहिए। क्या असली व्रत पारस्परिक सदभाव और आपसी समझ नहीं होती है जिसे अपनाए रखने से ज़िंदगी आनंदमय रहती है। तो फिर हो जाए इस बार करवा चौथ का असली व्रत।

- संतोष उत्सुक

Proper fasting of karva chauth

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