नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान का सच क्या है? सरकार को यात्रा का डर है या कोरोना का?
By DivaNews26 December 2022
नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान का सच क्या है? सरकार को यात्रा का डर है या कोरोना का?
प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह भी हमने देश की राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे जी। हमने सबसे पहले राहुल गांधी और कांग्रेस के भारत जोड़ो यात्रा की ही बात की। हमने पूछा कि क्या वाकई में भाजपा राहुल गांधी के भारत छोड़ो यात्रा को रोकने की कोशिश हो रही हैं। इसके जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि अगर डर होता तो वह तब होता जब किसी राज्य में चुनाव हो रहे होते हैं। दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में फिलहाल कोई चुनाव नहीं है। नीरज दुबे ने कहा कि अगर किसी को डर लगना होता तो यात्रा जब शुरू हो रही होती, तभी डर लगता। आपकी यात्रा 100 दिन पूरे कर चुकी है। फिर भी अगर उससे किसी को डर लगे, ऐसा संभव नहीं है। इसके साथ ही नीरज कुमार दुबे ने राहुल गांधी के उस बयान पर भी अपनी राय रखी जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं मोहब्बत की दुकान खोल रहा हूं नफरत के बाजार में।
नीरज दुबे ने इस पर कहा कि कन्या कुमारी से यात्रा दिल्ली पहुंच गई है। कन्या कुमारी में भी आप यही आरोप लगाते थे कि भाजपा और आरएसएस देश में नफरत फैला रही है और दिल्ली में भी आप यही आरोप लगा रहे हैं। हर जगह आपने नफरत शब्द का उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि नफरत का बाजार तो आप एक तरह से फैला कर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपनी यात्रा के दौरान जनता के मुद्दों पर उसकी नजरिया क्या है, यह लोगों के बीच रखना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यात्रा जिस राज्य में भी गई, वह विवादित ही रही। उन्होंने कहा कि यह यात्रा कांग्रेस और राहुल गांधी को राजनीतिक रूप से कितना फायदा पहुंचा पाएगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। हालांकि नीरज दुबे ने यह भी कहा है कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा रही कोविड-19 स्प्रेडर ना बन जाए इसका ध्यान रखा जाना चाहिए।
हमने संसद के शीतकालीन सत्र पर भी बात की हमें नीरज दुबे से पूछा कि आखिर इस सत्र से हासिल क्या हुआ? इसके जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि राज्यसभा के सभापति और लोकसभा के अध्यक्ष ने बता दिया है कि आखिर दोनों ही सदनों की उत्पादकता कितनी रही है। उन्होंने कहा कि आंकड़ों पर नजर डालें तो उत्पादकता के मामले में दोनों सदनों में कामकाज हुआ है। इसके साथ ही नीरज दुबे ने सवाल उठाया कि क्या इस संसद सत्र में जनता के मुद्दे उठे? उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि कोई भी सत्र शुरू होता है तो विपक्ष के पास मुद्दों की लंबी सूची होती है। लेकिन जैसे ही सत्र आगे बढ़ता है, सुई सिर्फ एक ही मुद्दे पर अटक जाती है। यह ऐसा मुद्दा होता है जिससे कि सदन की कार्यवाही में बाधा पहुंचती है। उन्होंने कहा कि हमने देखा कैसे चीन के मुद्दे को लेकर विपक्ष चर्चा की मांग पर अड़ा रहा।
इसके अलावा हमने इस सप्ताह के विवादित बयानों पर भी चर्चा की। नीरज दुबे ने कहा कि राजनीति में गरिमा बनी रहनी चाहिए। किसी भी संवैधानिक पद पर कोई भी टिप्पणी करने से पहले हम हर किसी को सोचना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिस तरीके से अपनी राजनीति के लिए सदन की कार्यवाही को बाधित किया गया, वह बिल्कुल भी ठीक नहीं था। इसके साथ ही हमने नीरज दुबे से यह भी पूछा कि आखिर संसद का सत्र हाल के दिनों में पहले ही क्यों खत्म हो जाता है? इसके जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि यह सब की सहमति से होता है। इसको लेकर कोई एक दूसरे पर आरोप नहीं लगा सकता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि ये ऐसी चीज है जिस में पारदर्शिता लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जनता से जुड़े जो भी सवाल है, उसे सरकार और विपक्ष को भी समझना पड़ेगा।
- अंकित सिंह
Rahul gandhi and bharat jodo yatra truth
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