अंध-विरोध की राजनीति में BJP-RSS पर आरोप लगाते रहते हैं राहुल गांधी!
By DivaNews10 October 2022
अंध-विरोध की राजनीति में BJP-RSS पर आरोप लगाते रहते हैं राहुल गांधी!
प्रभासाक्षी के सफाई कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह भी हमने कई खबरों पर चर्चा की। हाल में ही राहुल गांधी ने अपने भारत जोड़ो यात्रा में आरएसएस को लेकर एक अजीबोगरीब टिप्पणी कर दी थी। राहुल गांधी ने दावा किया था कि आरएसएस के लोगों ने स्वतंत्रता आंदोलन के समय अंग्रेजों से पैसे लिए थे। इसमें उन्होंने वीर सावरकर का भी नाम लिया था। हमारे कार्यक्रम में मौजूद प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे से हमने इसी को लेकर सवाल पूछा। नीरज कुमार दुबे ने साफ तौर पर कहा कि राहुल गांधी क्या कहते हैं, क्या बोलते हैं, यह खुद उन्हीं को पता होगा। नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि राहुल गांधी को सलाह देने वाली जो टीम है, वह उनके समक्ष सारे तथ्य नहीं रखते हैं। यही कारण है कि राहुल गांधी आवेश में आकर आरएसएस के बारे में कुछ भी बोल जाते हैं। हालांकि, तब भाजपा नहीं थी। इसलिए इसके बारे में कोई टिप्पणी करने का मायने ही नहीं है। नीरज दुबे ने साफ शब्दों में कहा कि राहुल गांधी को भाजपा और आरएसएस के खिलाफ बोलना होता है इसलिए वह कुछ भी बोल जाते हैं।
नीरज दुबे ने कहा कि अगर आप किसी का अंध विरोध करते हैं तो आपको पता ही नहीं होता है कि आप क्या बोल जाएंगे और कहां तक चले जाएंगे। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी आरएसएस, भाजपा और उद्योगपतियों का विरोध करते हैं और यही कारण है कि वह किसी भी सीमा तक विरोध में चले जाते हैं। हमने लगातार उनके संबोधनों में भी ऐसा देखा है। उनके ट्वीट्स को भी देखें तो साफ तौर पर पता चलता है कि वह किस तरह से भाजपा और आरएसएस पर लगातार निशाना साधते हैं। 'स्वतंत्रता संग्राम में आरएसएस का कोई योगदान नहीं' राहुल के इस बयान पर नीरज दुबे ने कहा कि राहुल को पहले तथ्यों की पूरी जानकारी रख लेनी चाहिए, तब इस तरह के आरोप लगाने चाहिए। नीरज दुबे ने एक दस्तावेज का जिक्र करते हुए कहा कि ब्रिटिश जमाने में एक कानून था कि जो भी राजनीतिक बंदी होते थे उन्हें कुछ भत्ते दिए जाते थे।
नीरज दुबे ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल जैसे राजनीतिक बंदियों को भी भत्ते मिलते थे। लेकिन राहुल गांधी सिर्फ आरएसएस के लोगों के बारे में ही बात बता रहे हैं। लेकिन राहुल गांधी को सारे दस्तावेज देखने होते चाहिए थे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अगर वीर सावरकर को भत्ता मिलता था तो वह सरदार पटेल और नेहरू को भी मिलता था। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यही है कि जब एक अधूरा तथ्य बताने की कोशिश करते हैं तो आप जनता को भ्रमित करने की कोशिश करते हैं। नीरज दुबे ने इस बात को स्वीकार किया कांग्रेस और वामपंथियों का आजादी के बाद देश को आगे बढ़ाने में योगदान रहा है। इसके साथ ही नीरज दुबे ने यह भी कह दिया कि हमें अपने इतिहास में यह तो बताया गया कि ताजमहल को किसने बनाया, लाल किले को किसने बनाया, लेकिन यह नहीं बताया गया कि आखिर इस मंदिर को तोड़ा था, उस मंदिर को किसने तोड़ा था।
नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस के रीति नीति ही यही रही है कि जनता को भ्रमित करिए, आधे तथ्य बता दिजिए और उसी को लेकर आगे बढ़िए। इसके अलावा हमने विपक्षी एकता पर बात की और खास करके के चंद्रशेखर राव की राजनीति पार्टी की। नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि पार्टी का नाम भारत राष्ट्र समिति रख देने से पूरे देश के नेता नहीं होते। इसके लिए आपको पूरे देश में संगठन को मजबूत करना होता है। उन्होंने कहा कि हम देखें तो विपक्ष के लगभग सभी नेता प्रधानमंत्री पद का सपना देखते हैं। इसी कड़ी में चंद्रशेखर राव ने अपने कदम एक और आगे बढ़ा दिए हैं। ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि विपक्षी एकता आगे किस तरह के रहने वाले हैं।
- अंकित सिंह
Rahul gandhi keeps accusing bjp rss in the politics of anti blind protest
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