मुद्रास्फीति में कमी के संकेत मिलने के साथ ही घरेलू स्तर पर अर्थव्यवस्था में लचीलापन देखने को मिल रहा है, और चालू वित्त वर्ष के दौरान सात प्रतिशत की वृद्धि हासिल की जा सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक लेख में यह बात कही गई। लेख के मुताबिक मजबूती के बावजूद अर्थव्यवस्था अभी भी वैश्विक चुनौतियों के प्रति संवेदनशील है।
आरबीआई के ताजा बुलेटिन में प्रकाशित लेख में यह भी कहा गया कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में गिरावट का जोखिम बना हुआ है, वैश्विक वित्तीय स्थितियां सख्त होती जा रही हैं और बाजार की नकदी में कमी वित्तीय कीमतों में उतार-चढ़ाव को बढ़ा रही है। इसमें आगे कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में आपूर्ति प्रतिक्रिया मजबूत हो रही है। लेख में कहा गया, सकल मुद्रास्फीति (हेडलाइन इंफ्लेशन) में कमी के संकेत दिखने के साथ ही घरेलू व्यापक आर्थिक परिदृश्य में मजबूती है, लेकिन यह वैश्विक चुनौतियों के प्रति संवेदनशील भी है।
लेख के मुताबिक शहरी मांग मजबूत दिखाई दे रही है, जबकि ग्रामीण मांग कमजोर है, लेकिन हाल ही में इसमें तेजी आई है। लेख को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा के नेतृत्व में एक टीम ने तैयार किया है। आरबीआई ने कहा कि यह लेखकों की राय पर आधारित है तथा केंद्रीय बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।
लेख के मुताबिक जीएसटी संग्रह, निर्यात जैसे प्रमुख आंकड़ों के आधार पर वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.1 प्रतिशत से 6.3 प्रतिशत के बीच रह सकती है। इसमें आगे कहा गया, अगर ऐसा होता है तो भारत 2022-23 में लगभग सात प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करेगा। तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में आपूर्ति प्रतिक्रिया मजबूत हो रही है। वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े नवंबर के अंत तक जारी किए जाएंगे।
Rbi article said economy strong 7 growth expected in 2022 23
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