मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने केंद्र सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट पर चर्चा करने और इसे तैयार करने के लिए बृहस्पतिवार को बैठक की। इस रिपोर्ट में बताया जाएगा कि इस वर्ष जनवरी से लगातार तीन तिमाहियों में वह खुदरा मुद्रास्फीति को छह फीसदी की संतोषजनक सीमा से नीचे रखने में क्यों विफल रही है। आरबीआई ने एक बयान में कहा, ‘‘मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन नवंबर 2022 को अलग से बैठक हुई जिसमें उस रिपोर्ट पर चर्चा हुई जो केंद्रीय बैंक आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडएन, आरबीआई एमपीसी के नियम 7 और मौद्रिक नीति प्रक्रिया नियमन, 2016 के प्रावधानों के तहत सरकार को भेजेगा।’’
आरबीआई अधिनियम की इस धारा में प्रावधान है कि मुद्रास्फीति को सरकार की तरफ से तय सीमा के भीतर रख पाने में नाकाम रहने पर केंद्रीय बैंक को इसके बारे में सरकार को रिपोर्ट देनी होती है। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक की अध्यक्षता रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की। इसमें एमपीसी के सभी सदस्य- माइकल देवव्रत पात्रा, राजीव रंजन, शशांक भिड़े, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा भी शामिल हुए। छह साल पहले मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का गठन होने के बाद पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) लगातार नौ महीनों तक मुद्रास्फीति को निर्धारित दायरे में नहीं रख पाने पर एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगा। वर्ष 2016 में मौद्रिक नीति निर्धारण के एक व्यवस्थित ढांचे के रूप में एमपीसी का गठन किया गया था।
उसके बाद से एमपीसी ही नीतिगत ब्याज दरों के बारे में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई बनी हुई है। एमपीसी ढांचे के तहत सरकार ने आरबीआई को यह जिम्मेदारी सौंपी थी कि मुद्रास्फीति चार प्रतिशत (दो प्रतिशतघट-बढ़ के साथ) से नीचे बनी रहे। हालांकि, इस साल जनवरी से ही मुद्रास्फीति लगातार छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। सितंबर में भी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 7.41 प्रतिशत पर दर्ज की गई। इसका मतलब है कि लगातार नौ महीनों से मुद्रास्फीति छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है।
Rbi mpc discusses draft report on missing inflation target
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