R D Burman Death Anniversary | देवानंद के साथ था आरडी बर्मन का गहरा नाता, ढाल की तरह साथ खड़े थे देव साहब
संगीत वैज्ञानिक और बॉलीवुड संगीत के बादशाह कहे जाने वाले राहुल देव बर्मन उर्फ आरडी बर्मन का जन्म 27 जून 1939 को हुआ था और उनका निधन 4 जनवरी 1994 में हुआ था। महान संगीत निर्देशक सचिन देव बर्मन के बेटे आरडी बर्मन को प्यार से पंचम दा कहा जाता था। दम मारो दम से लेकर चुरा लिया है तुमने जो दिल को तक, जैसे संगीत से लोगों को झूमने पर मजबूर करने वाले संगीतकार ने हिंदी फिल्म उद्योग को कई अविस्मरणीय यादें दीं। हालांकि सिनेमा में सबसे प्रसिद्ध व्यक्तित्वों में से एक होने के बावजूद, आरडी अपने अंतिम वर्षों में लगभग बेरोजगार हो गये थे। बॉलीवुड संगीत में क्रांति लाने वाले पंचम दा को उन्हीं के उद्योग ने आखिरी वक्त में त्याग दिया था।
रिपोर्ट्स यह भी कहती हैं कि कई निर्माताओं ने उनसे नाता तोड़ लिया था। इन सबके बीच संगीतकार ने सुपरस्टार देव आनंद से मदद मांगी थी। आरडी बर्मन ने देव आनंद को प्यार से देव साहब बुलाते थे। आरडी बर्मन के पिता ने जब देव आनंद बॉलीवुड में नये आये थे तब उनकी मदद की थी। उसके बाद देव साहब ने मेरे पिता का साथ नहीं छोड़ा।
लेखक खगेश देव बर्मन से उन्होंने एक बातचीत में कहा था कि "जब मेरे पिता सचिन देव बर्मन बीमार थे तब उनके साथ रहने वाले एकमात्र देव आनंद थे- उन्होंने मेरे पिता से चिंता न करने के लिए कहा, कि वह फिल्म में देरी करेंगे। आज एक संगीत निर्देशक के लिए ऐसा कोई भी कभी नहीं करेगा। पाँच महीने बाद, जब मेरे पिता ठीक हो गए, तो हमने फिल्म गाइड के लिए पांच धुनें दी थी जिसमें से चार देव साहब को पंसद आई थी।
आरडी बर्मन का जन्म 27 जून 1939 को हुआ था, उन्हें बचपन से ही संगीत का बहुत बड़ा शौक था और उन्होंने अपने पिता से प्रशिक्षण लिया, जो एक संगीतकार भी थे। उन्होंने अपना करियर नौ साल की उम्र में फिल्म फंटूश (1956) से शुरू किया था उन्होंने इस फिल्म में पहला गाना तैयार किया था। बाद में उनके कई गाने मशहूर हुए जैसे कि 'सर जो तेरा चक्रे' (प्यासा), 'मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू' (आराधना), और 'कोरा कागज था ये मन मेरा' (आराधना) सहित कई सुपरहिट गीतों से वह सिनेमा में मशहूर हो गये। वह हारमोनिका और कई अन्य वाद्ययंत्र बजाना भी जानते थे। उन्होंने फिल्म 'सोलवा साल' के गाने 'है अपना दिल तो आवारा' के लिए माउथ ऑर्गन बजाया था।
अपने कॅरियर के शुरुआती दौर में, उन्होंने भूत बंगला (1965) और प्यार का मौसम (1969) जैसी फिल्मों में भी अभिनय में अपनी किस्मत आजमाई। आरडी बर्मन को उनके उपनाम, पंचम से भी जाना जाता था, और उनके अधिकांश उद्योग मित्रों द्वारा इसी नाम से लोकप्रिय रूप से संबोधित किया जाता था।
Rd burman had a deep bond with devanand dev saheb stood with him like a shield in trouble