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Himachal Election: हिमाचल में बागी बढ़ाएंगे भाजपा की टेंशन, गृह राज्य में ही नड्डा के समक्ष है बड़ी चुनौती

Himachal Election: हिमाचल में बागी बढ़ाएंगे भाजपा की टेंशन, गृह राज्य में ही नड्डा के समक्ष है बड़ी चुनौती

Himachal Election: हिमाचल में बागी बढ़ाएंगे भाजपा की टेंशन, गृह राज्य में ही नड्डा के समक्ष है बड़ी चुनौती

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार का आज आखिरी दिन है। भाजपा ने सत्ता वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। हालांकि, भाजपा का मुकाबला पहाड़ी राज्य में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से है। 68 सीटों के लिए 12 नवंबर को मतदान होंगे। हिमाचल प्रदेश में अब तक 5 वर्षों में सरकार बदलने की रिवाज रही है। यहां की जनता 5 साल भाजपा और 5 साल कांग्रेस को मौका देती रही है। भाजपा का दावा है कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की तरह इस बार हिमाचल प्रदेश में भी रिवाज बदलेगी और भाजपा दोबारा सत्ता में वापसी करेगी। लेकिन हिमाचल प्रदेश में लगभग 18 से ज्यादा सीटों पर भाजपा के अपने ही पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। दरअसल, यह वह नेता है जो टिकट नहीं मिलने से पार्टी से बगावत कर चुके हैं और चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। 
 

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यही कारण है कि कांग्रेस भी सत्ता वापसी को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है। कांग्रेस के हिमाचल प्रदेश प्रभारी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो यह भी कह दिया कि 68 सीटों में से भाजपा के लिए 21 सीटों पर बागी ही चुनावी मैदान में उसकी परेशानी बने हुए हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि हम दूसरों से अलग हैं। हम अनुशासित हैं। भाजपा में बगावत इतनी ज्यादा है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन करना पड़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि 21 बागी नेता खड़े हैं। हिमाचल प्रदेश में बहुमत के लिए 35 सीटों की आवश्यकता होती है लेकिन 18 सीटों पर है। भाजपा के बागी ही कई सीटों पर चुनावी मैदान में हैं। 

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर सीट पर तेजवंत सिंह नेगी पार्टी से बगावत कर चुनावी मैदान में है। पिछले चुनाव में वह कांग्रेस से महज 120 वोट से हारे थे। लेकिन इस बार उनका टिकट पार्टी ने काट दिया। चंपा सीट से इंदिरा कपूर की बगावत देखने को मिल रही है। इंदिरा कपूर को पहले पार्टी ने टिकट दिया था और बाद में उनका टिकट काट दिया गया। कांगड़ा सीट से कुलभाष चौधरी भी नाराज हैं। उन्होंने चुनावी मैदान में निर्दलीय पर्चा भरा है। क्षेत्र में इनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। धर्मशाला सीट से विपिन नेहरिया, कुल्लू की अन्नी सीट से किशोर लाल, इंदौरा सीट से मनोहर धीमान भी चुनावी मैदान में बगावत करके हैं। नालागढ़ सीट से केएल ठाकुर, फतेहपुर सीट से कृपाल परमार, सुंदरगढ़ सीट से अभिषेक ठाकुर, कुल्लू के सदर से राम सिंह भी पार्टी से बगावत करके चुनावी मैदान में है। 
 

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मनाली से बीजेपी के दो बार विधायक रहे गोविंद सिंह ठाकुर भी नाराज हैं। उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया गया। वहीं, बंजार सीट से हितेश्वर सिंह ने बगावत कर लिया है। उन्होंने निर्दलीय पर्चा भरा है। बड़सर सीट से संजीव शर्मा पार्टी से बगावत करने के बाद चुनावी मैदान में है। बिलासपुर सीट से सुभाष शर्मा, झंडूता सीट से राजकुमार कोंडल, नाचन सीट से ज्ञानचंद, मंडी सीट से प्रवीण शर्मा और देहरा सीट से होशियार सिंह भी बगावत कर चुनावी मैदान में है। कुल मिलाकर देखें तो गृह राज्य में ही भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के समक्ष पार्टी को जीत दिलाना एक बड़ी चुनौती है। 

Rebels will increase bjp tension in himachal nadda has a big challenge in his home state

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