कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) की शुक्रवार को बैठक हुई। इस बैठक का आयोजन ‘‘चुनौती प्रणाली’ पर फैसला करने के लिए किया गया था। हालांकि बोली प्रक्रिया में अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों पर एक राय नहीं बन सकी। सूत्रों ने कहा कि ऋणदाता इस बारे में फैसला नहीं कर सके कि चुनौती व्यवस्था कैसे काम करेगी। इसके तहत कर्जदाताओं को किसी भी समाधान योजना का, वे जब चाहें, विरोध करने का अधिकार मिलता है। सूत्रों ने कहा कि ऋणदाताओं ने ‘ब्लैक बॉक्स’ दृष्टिकोण की सिफारिश की।
इसका अर्थ है कि चुनौती व्यवस्था के तौर-तरीके सीओसी द्वारा तय किए जाएंगे। हालांकि, इस बारे में बोलीदाताओं को बाद के चरण में बताया जाएगा। इसका मतलब यह भी है कि बोलीदाताओं को पूरी तरह से अनिश्चितता के बीच अपनी समाधान योजना प्रस्तुत करनी होगी। यह प्रक्रिया कैसे काम करेगी, इस बारे में उन्हें बोलियां जमा करते वक्त जानकारी नहीं होगी। सूत्रों ने कहा कि कुछ बोलीदाताओं ने बोली प्रक्रिया के इस अंतिम चरण में इस नए खंड की शुरुआत पर प्रशासक के सामने चिंता जताई है।
सूत्रों ने कहा कि समाधान योजना के लिए अनुरोध (आरएफआरपी) दस्तावेज में इस व्यवस्था का कोई उल्लेख नहीं था। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सभी बोलीदाताओं को अपनी समाधान योजना प्रस्तुत करते समय लिखित सहमति देनी होगी कि वे बाद के चरण में ऋणदाताओं द्वारा किसी भी रूप में चुनौती तंत्र को लागू करने पर सहमत होंगे। रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (आरसीएल) और उसकी अनुषंगी कंपनियों के लिए पक्की बोलियां जमा करने की अंतिम तारीख 28 नवंबर है।
Reliance capital lenders divided on challenge arrangement
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