खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट होने से अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर तीन महीनों के निचले स्तर 6.77 प्रतिशत पर आ गई। साथ ही थोक मुद्रास्फीति भी 19 महीनों के निचले स्तर 8.39 प्रतिशत पर आ गई। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर में 6.77 प्रतिशत रही जबकि पिछले महीने सितंबर में यह 7.41 प्रतिशत थी। इस साल जनवरी से ही छह प्रतिशत की संतोषजनक सीमा से ऊपर बनी हुई है।
सरकार ने केंद्रीय बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। आरबीआई मौद्रिक नीति के बारे में निर्णय करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर ही गौर करता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के ताजा आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर 7.01 प्रतिशत रही जो सितंबर महीने में 8.6 प्रतिशत थी।
वित्त मंत्रालय ने ट्विटर पर लिखा है कि कच्चा तेल, लौह अयस्क और इस्पात की कीमतें वैश्विक बाजार में गिरने के साथ ही घरेलू स्तर पर गेहूं एवं चावल की आपूर्ति सुनिश्चित करने से भी इन जिंसों की कीमतें काबू में रखने के प्रयास किए गए हैं। वित्त मंत्रालय ने कहा, इन कोशिशों का असर आने वाले महीनों में और अधिक महसूस किए जाने की उम्मीद है। इसके पहले, सरकार की तरफ से थोक मुद्रास्फीति के आंकड़े भी जारी किए गए।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के मुताबिक खाद्य, ईंधन और विनिर्मित उत्पादों के दाम कम होने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने में घटकर 19 महीने के निचले स्तर 8.39 प्रतिशत पर आ गयी। डेढ़ साल के बाद अक्टूबर में पहली बार थोक मुद्रास्फीति इकाई अंक में रही है। इससे पहले मार्च, 2021 में यह 7.89 प्रतिशत पर रही थी। अप्रैल, 2021 से थोक मुद्रास्फीति लगातार 18 माह तक 10 प्रतिशत या उससे अधिक रही। सितंबर में यह 10.79 प्रतिशत पर थी जबकि एक साल पहले अक्टूबर, 2021 में यह 13.83 प्रतिशत थी।
अक्टूबर में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 8.33 प्रतिशत रही, जो सितंबर में 11.03 प्रतिशत थी। समीक्षाधीन महीने में सब्जियों की मुद्रास्फीति 17.61 प्रतिशत रही जबकि एक महीने पहले यह 39.66 प्रतिशत पर थी। आलू, प्याज, फल, अंडा, मांस एवं मछली की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई जबकि धान, गेहूं एवं दालों के दामों में बढ़त रही।
तिलहनों की कीमतों में 5.36 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई जबकि खनिजों में थोक मुद्रास्फीति 3.86 प्रतिशत रही। ईंधन और बिजली खंड की मुद्रास्फीति घटकर 23.17 प्रतिशत और विनिर्मित उत्पादों की 4.42 प्रतिशत पर आ गई। आरबीआई ने मुद्रास्फीति को काबू में करने के मकसद से पिछले छह महीनों में नीतिगत रेपो दर को 1.90 प्रतिशत तक बढ़कर 5.90 प्रतिशत पर पहुंचा दिया है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक पांच-सात दिसंबर को होने वाली है। क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि आधार प्रभाव की वजह से अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति में कमी आने की उम्मीद पहले से थी। इसके अलावा दालों एवं अनाजों के दाम गिरने से भी इसे समर्थन मिला।
Relief on the inflation front both retail and wholesale inflation declined
Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero