यूरोप में चल रहे ऊर्जा संकट से देश में संचालित तेलशोधन कंपनियों रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी को फायदा होने की उम्मीद है। ये दोनों कंपनियां उन एशियाई तेलशोधन कंपनियों में शामिल हैं जो यूरोपीय संघ के लिए विशेष रूप से सर्दियों में इस्तेमाल होने वाले डीजल का उत्पादन करती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियां निर्यात नहीं करती हैं जिसका रिलायंस को लाभ मिलता है।
यह रूस के कच्चे तेल की सबसे बड़ी आयातक और देश से डीजल की सबसे बड़ी निर्यातक कंपनी भी है। एलएसजी समूह की डेटा प्रदाता फर्म रिफाइनिटिव के विश्लेषकों का कहना है कि अगले महीने से तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में प्रति दिन 20 लाख बैरल की कटौती करने से ऊर्जा संकट और बढ़ जाएगा। वहीं, पांच फरवरी से परिष्कृत उत्पादों के रूसी आयात पर भी प्रतिबंध लागू हो जाएगा।
तेल विश्लेषकों के मुताबिक, यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से रिलायंस और नायरा ने रूस से मार्च-सितंबर के दौरान प्रति माह 28.2 लाख टन कच्चे तेल का आयात किया है। यह यूक्रेन युद्ध शुरू होने के पहले के स्तरों से लगभग 10 गुना अधिक है। फरवरी के अंत में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से ही यूरोप को भारत से पेट्रोलियम निर्यात में बढ़त देखी गई है। विश्लेषकों ने कहा कि भारतीय रिफाइनर कंपनी ने यूक्रेन संकट के बाद मजबूत डीजल मार्जिन का लाभ उठाया है और यूरोप में अपने निर्यात को बढ़ाया है।
Report says reliance naira to benefit from european energy crisis
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