अमेरिका में रिपब्लिकन सीनेटर जेम्स लैंकफोर्ड ने विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर भारत के साथ गंभीर चर्चा करने का आग्रह किया है। विदेश मंत्रालय के विशेष चिंता वाले देशों, विशेष निगरानी वाले देशों की सूची और विशेष चिंता वाली संस्थाओं की वार्षिक सूची जारी करते समय अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) की भारत, नाइजीरिया तथा अफगानिस्तान के संबंध में की गई सिफारिशों पर ध्यान नहीं देने के बाद लैंकफोर्ड ने ब्लिंकन को यह पत्र लिखा है।
यूएससीआईआरएफ ने साल की शुरुआत में अपनी एक रिपोर्ट में विदेश मंत्रालय से धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी मुद्दों के कारण भारत को विशेष चिंता वाले देश के रूप में नामित करने का आग्रह किया था। हालांकि, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने इस सिफारिश पर अमल नहीं किया। एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, लैंकफोर्ड विदेश मंत्रालय से कांग्रेस के समक्ष इस फैसले पर स्पष्टता देने की मांग कर रहे हैं। लैंकफोर्ड ने पत्र में लिखा, ‘‘धार्मिक स्वतंत्रता के प्रत्यक्ष और बार-बार गंभीर उल्लंघन के बावजूद भारत को औपचारिक रूप से (विशेष चिंता वाले देश के तौर पर) नामित नहीं किया गया। भारत अमेरिका का एक महत्वपूर्ण सुरक्षा भागीदार और हिंद-प्रशांत में चीन के खिलाफ एक संतुलित करने वाली प्रमुख शक्ति है।’’
लैंकफोर्ड ने कहा, ‘‘ इस साझेदारी को देखते हुए अमेरिका को भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए बिगड़ती धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर गंभीर चर्चा करनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि ऐसी सूची में किसी भी देश को शामिल करने का मकसद धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वालों को सामने लाना और सरकार में सभी स्तरों पर धार्मिक स्वतंत्रता के मूल्य पर निरंतर बातचीत को बढ़ावा देना है। ‘इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल’ ने एक बयान में ब्लिंकन को लिखे पत्र को लेकर लैंकफोर्ड की सराहना की है।
भारत ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) की रिपोर्ट को ‘‘पक्षपातपूर्ण व गलत तथ्यों पर आधारित’’ बताया था। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) कांग्रेस द्वारा गठित एक निकाय है। हालांकि, इसकी सिफारिश पर अमल करना अमेरिकी विदेश मंत्रालय के लिए अनिवार्य नहीं है।
Republican senator said america should have serious discussion with india on religious freedom
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