मोकामा में हार कर भी भाजपा ने जीत ली बाजी, बिहार में उपचुनाव के परिणाम नीतीश-तेजस्वी की टेंशन बढ़ा सकते हैं
बिहार में 2 सीटों पर 3 नवंबर को हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं। बिहार में भाजपा और महागठबंधन के बीच इसे महा मुकाबला माना जा रहा था जो कि टाई रहा। यानी कि एक सीट जहां राजद या महागठबंधन के पक्ष में गया तो ही दूसरा सीट भाजपा के पक्ष में रहा। कुल मिलाकर देखें तो राजद और भाजपा ने अपनी अपनी सीट बचाने में सफलता हासिल की। लेकिन यह असल में परीक्षा नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के लिए थी। तेजस्वी और नीतीश की जोड़ी वापस आने के बाद यह बिहार में पहला उपचुनाव था। उपचुनाव में दोनों ओर से पूरी ताकत झोंक दी गई थी। सबकी नजरें मोकामा विधानसभा सीट पर थी। इस सीट पर बाहुबली अनंत सिंह का दबदबा माना जाता है। उनकी पत्नी राजद की ओर से खड़ी हुई थीं जिसे जीत मिली है।
मोकामा में भाजपा हार कर भी कैसे जीते
मोकामा की बात करें तो आनंद सिंह के गढ़ में उनकी पत्नी को लगभग 16000 वोटों से जीत मिली है। मोकामा में अनंत सिंह का एकछत्र दबदबा देखने को मिलता रहा है। भाजपा ने यहां पहली बार अपने उम्मीदवार उतारे थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी अनंत सिंह ने जदयू प्रत्याशी को लगभग 35000 वोटों से हराया था। लेकिन इस बार यह 16707 पर आ गया है। भाजपा के उम्मीदवार के पक्ष में 62903 वोट गए। अब तक मोकामा में जदयू ही भाजपा गठबंधन में रहते हुए चुनाव लड़ा करती थी। पहली बार भाजपा ने यहां अपना उम्मीदवार उतारा था। मोकामा में अनंत सिंह और उनके परिवार का दबदबा पिछले 30 सालों से रहा है।
क्या कहते हैं गोपालगंज के परिणाम
गोपालगंज सीट को भाजपा ने भले ही छोटे अंतर से जीता है। लेकिन कहीं ना कहीं यह उसके लिए बड़ी राहत की बात होगी। इस बार भाजपा को 70000 वोट मिले जबकि 2020 के चुनाव में उसे 78000 वोट मिले थे। भाजपा के वोट में कमी का कारण एक यह भी है कि इस बार राजद की ओर से भाजपा के कोर वोटर माने जाने वाले वैश्य जाति के उम्मीदवार को उतारा गया था। ऐसे में वैश्य जाति के वोटों में बटवारा देखने को मिला।
क्यों बढ़ी नीतीश और तेजस्वी की टेंशन
गोपालगंज और मोकामा के परिणाम को देखें तो साफ तौर पर दिख रहा है कि भाजपा को एकतरफा धूल चटाने में महागठबंधन के उम्मीदवार नाकाम रही। मोकामा में भी अनंत सिंह की पत्नी को भाजपा ने कड़ी टक्कर दी। मोकामा को भूमिहार का गढ़ माना जाता है। लेकिन वहां भाजपा के पक्ष में कुर्मी, धावक, कुम्हार और कुशवाहा का भी वोट आया है। यह नीतीश कुमार का वोट बैंक माना जाता है। लेकिन इस बिरादरी के लोगों ने भाजपा को वोट दी है। यह वह समाज है जो आरजेडी से लगातार दूर रहता है। इसके अलावा गोपालगंज में राजद का एमवाई समीकरण भी काम नहीं कर सका। गोपालगंज में भाजपा की जीत इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि यह राजद सुप्रीमो लालू यादव का गृह जिला है। लालू यादव की प्रतिष्ठा का सवाल भी कहा जा रहा था।
Results of byelections in bihar can increase the tension of nitish tejashwi