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केजरीवाल की भविष्य की राजनीति तय करेंगे गुजरात और MCD चुनाव के परिणाम, हार हुई तो लगेगा बड़ा झटका

केजरीवाल की भविष्य की राजनीति तय करेंगे गुजरात और MCD चुनाव के परिणाम, हार हुई तो लगेगा बड़ा झटका

केजरीवाल की भविष्य की राजनीति तय करेंगे गुजरात और MCD चुनाव के परिणाम, हार हुई तो लगेगा बड़ा झटका

दिल्ली के बाद पंजाब विधानसभा में मिली जीत के बाद से आम आदमी पार्टी और उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल के हौसले बुलंद है। यही कारण है कि अलग-अलग राज्यों में आप की ओर से चुनाव लड़ने की योजना पर काम किया जा रहा है। इसी कड़ी में पार्टी गुजरात में पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रही है। इसके अलावा दिल्ली में मौजूदा नगर निगम का भी चुनाव अरविंद केजरीवाल के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसे अरविंद केजरीवाल के राष्ट्रीय आकांक्षाओं से भी जोड़कर देखा जा रहा है। यही कारण है कि इस बात को भी माना जा रहा है कि अगर गुजरात और एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहता है तो यह अरविंद केजरीवाल के लिए एक बड़ा झटका होगा। लेकिन यह बात भी सत्य है कि अगर गुजरात और एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को सफलता मिलती है तो केजरीवाल को रोकना नामुमकिन होगा।
 

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आप की जीत के बाद विपक्ष को अपनी रणनीति में भी बदलाव करना पड़ सकता है। वर्तमान की स्थिति में देखे तो आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल सीधा-सीधा भाजपा से ही मुकाबला करते दिखाई दे रहे हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा सबक भी हो सकता है। कांग्रेस की तुलना में गुजरात में आम आदमी पार्टी मजबूत नजर आ रही है और भाजपा की पूरी मशीनरी का डटकर सामना कर रही है। पंजाब में आप के लिए लड़ाई थोड़ी आसान थी क्योंकि वहां सामने कांग्रेस थी। लेकिन गुजरात और एमसीडी में आप के सामने भाजपा है जिससे लोहा लेना आसान नहीं है और आम आदमी पार्टी के नेता इसे स्वीकार भी करते हैं। गुजरात में फिलहाल आम आदमी पार्टी पूरी दिलचस्पी के साथ पहले ही चुनाव में भाग ले रही है। ऐसे में उसका सब कुछ दांव पर है। 

गुजरात के राजनीतिक पंडितों के पास से जो खबर आ रही है उसके मुताबिक आप गुजरात में विपक्षी दलों की कतार में इस बार शामिल हो सकती है। लेकिन पंजाब की तरह पार्टी प्रदर्शन करेगी, इसको लेकर संभावनाएं कम ही दिखाई दे रहे है। आपको पता है कि दिल्ली से किसी राज्य को मैनेज करना थोड़ा मुश्किल है। अरविंद केजरीवाल की केंद्रीकरण की रणनीति का खामियाजा पंजाब पहले से ही भुगत रहा है। पंजाब में अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर पार्टी ने चुनाव तो जीत लिया। लेकिन कहीं ना कहीं वहां उसे कई तरह के दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गुजरात में आम आदमी पार्टी अगर विपक्ष में भी रहती है तो उसके लिए राज्य में एक मजबूत जनाधार तैयार करने का बड़ा मौका होगा। आप के नेता भी मानते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में पार्टी ने गुजरात में आम नागरिकों के बीच एक अच्छी पकड़ बनाई है। लेकिन यह बात भी सत्य है कि पार्टी को उस पकड़ को मजबूत बनाए रखने की आवश्यकता है और इसके लिए संगठन जरूरी है। 
 

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गुजरात में आप के नेताओं को इस बात की भी आशंका है कि आने वाले दिनों में पार्टी तोड़ने के लिए भाजपा किसी भी हथकंडे का सहारा ले सकते हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी को दिल्ली के नेतृत्व से बाहर निकलने की आवश्यकता है। हालांकि, पार्टी के नेता इस बात को भी स्वीकार करते हैं कि हम अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की मदद के बिना पार्टी चलाने के बारे में नहीं सोच सकते। लेकिन हमने अपने दम पर पार्टी इकाई का निर्माण जरूर किया है। दूसरे राज्यों में एक प्रभावी संगठन तैयार करने में आम आदमी पार्टी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी का एक धड़ा यह भी सोचता है कि अगर एमसीडी चुनाव में असफलता मिलती है, तो इस बात का उजागर होगा कि उनके पास दिल्ली में समर्थन का ठोस आधार नहीं है। हालांकि, दिल्ली में केजरीवाल ने अपने दम पर 2 विधानसभा के चुनाव जीते हैं। जबकि पहले विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन लोकसभा चुनाव और नगर निगम चुनाव में भाजपा ने लगातार सफलता हासिल की है।

आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किल यह भी है कि हाल के दिनों में पार्टी ने उत्तर प्रदेश, गोवा और उत्तराखंड में भी मजबूती के साथ चुनाव लड़ा था। पार्टी को इन चुनावों में बिल्कुल भी सफलता नहीं मिली। जिन लोगों पर पार्टी ने भरोसा जताया था, वही पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं। उत्तराखंड में आपने जिससे सीएम का चेहरा बनाया, उसने भाजपा का दामन थाम लिया है और केजरीवाल पर कई बड़े आरोप लगाए हैं। कहीं ना कहीं केजरीवाल इस बात को भलीभांति समझते हैं कि अगर देश में भाजपा के विकल्प के तौर पर खुद को पेश करना है तो उन्हें नरेंद्र मोदी जैसे ताकतवर नेता का सामना करना पड़ेगा और इसके लिए कहीं ना कहीं मोदी के गढ़ गुजरात में जीत जरूरी है। अगर गुजरात में आपकी उम्मीदों को उड़ाने नहीं मिलती है तो अरविंद केजरीवाल एक बार फिर से राष्ट्रीय राजनीति की महत्वाकांक्षाओं के बारे में अपनी सोच को ठंडे बस्ते में डाल सकते हैं। फिलहाल 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी का दावा रहता है कि यह नरेंद्र मोदी बनाम अरविंद केजरीवाल होगा। केजरीवाल किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन करने के पक्ष में नहीं है। 

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