केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश को हाइड्रोजन उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाने के लिये उनका मंत्रालय जल्दी ही विस्तृत दिशानिर्देश और मानक लेकर आएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल के 19,744 करोड़ रुपये के व्यय के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी के एक दिन बाद उन्होंने यह बात कही। सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद हम इस पर विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेंगे।’’
इस मिशन के जरिये अगले पांच साल में सालाना 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लक्ष्य के साथ हाइड्रोजन से जुड़े क्षेत्रों में आठ लाख करोड़ रुपये का निवेश आने की उम्मीद है। मिशन के तहत उपलब्ध कराये गये प्रोत्साहनों का मकसद हरित हाइड्रोजन की लागत में कमी लाना है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने निर्णय किया है कि इलेक्ट्रोलाइजर का विनिर्माण भारत में हो सकता है। इसीलिए, हमने इसके घरेलू स्तर पर विनिर्माण को लेकर उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना पर काम किया है। इसके अंतर्गत 15,000 मेगावॉट क्षमता का विनिर्माण आएगा। लेकिन हमें, उम्मीद है कि क्षेत्र में 2030 तक करीब 60,000 मेगावॉट की क्षमता स्थापित होगी।’’ सिंह ने कहा कि यह (60,000 मेगावॉट) इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण क्षमता दुनिया की सबसे बड़ी क्षमता होगी।
इलेक्ट्रोलाइजर का उपयोग हाइड्रोजन उत्पादन में किया जाता है। इसका उत्पादन इलेक्ट्रोलाइसिस प्रक्रिया के जरिये पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में विभाजित कर किया जाता है। मंत्री ने कहा, ‘‘हम उस तारीख की घोषणा करेंगे जब तक घरेलू उद्योग को कम आयात शुल्क पर इलेक्ट्रोलाइजर आयात करने की अनुमति होगी। यह 2025-26 तक हो सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि 2025-26 तक घरेलू विनिर्माण क्षमता में वृद्धि होगी। इसके बाद भारी आयात शुल्क लगेगा और हमें नहीं लगता है कि कोई भी व्यक्ति इलेक्ट्रोलाइजर का आयात करेगा।’’
उन्होंने कहा कि हरित हाइड्रोजन बनाने के लिये पीएलआई योजना पहले कुछ साल के लिये उपलब्ध होगी। यह तबतक के लिये होगी, जबतक घरेलू उद्योग प्रतिस्पर्धी नहीं हो जाता।’’ सिंह ने कहा कि जर्मनी जैसे कुछ देशों ने हरित हाइड्रोजन के आयात के लिये बोलियां आमंत्रित की है। ‘‘मैंने घरेलू उद्योग से पूछा है कि वे बोली दस्तावेज को देखें और विचार करें कि क्या वे बोली प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं।’’
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का इस्पात, पोत परिवहन, रिफाइनिंग, सीमेंट, उर्वरक और परिवहन साधनों (लंबी दूरी के वाहन) जैसे क्षेत्रों को हरित हाइड्रोजन और अमोनिया के आधारित बनाने का लक्ष्य है। मंत्री ने हाइड्रोजन खरीद दायित्व (एचपीओ) का भी उल्लेख किया। इसके तहत रिफाइनिंग और उर्वरक जैसे कुछ उद्योगों को जीवाश्म ईंधन आधारित हाइड्रोजन की कुल खपत में से एक हिस्सा हरित हाइड्रोजन के उपयोग की जरूरत होगी।
Rk singh said government will soon bring guidelines to promote green hydrogen
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