अंगों के पुनर्वास में मदद करेंगे रोबोटिक प्रशिक्षक
अंग विकलांगता भारत में एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती है जो प्रायः अवस्था-जन्य उम्र बीमारियों, शारीरिक विकृतियों, दुर्घटनाओं, स्ट्रोक, पोलियो आदि के कारण होती है। शिथिल पड़ चुके अंग को सक्रिय बनाने में 'फिजियोथेरेपी' का सहारा लिया जाता है। भारतीय शोधकर्ताओं ने ऐसा रोबोटिक प्रशिक्षक डिज़ाइन किया हैं, जिसका उपयोग निचले अंगों की अक्षमताओं के इलाज के लिए की जाने वाली फिजियोथेरेपी में किया जा सकता है। यह अध्ययन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।
इस अध्ययन के निष्कर्ष इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एडवांस्ड रोबोटिक सिस्टम्स में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं में डॉ जयंत कुमार मोहंता, सहायक प्रोफेसर, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी जोधपुर, के साथ अन्य शोधकर्ता शामिल हैं।
निचले अंगों का पुनर्वास, विशेष रूप से चलने-फिरने की स्थिति में सुधार होने में काफी समय लगता है। कभी-कभी इसमें एक से अधिक फिजियोथेरेपिस्टों की भूमिका होती है। पिछले कुछ वर्षों में निचले अंगों के पुनर्वास के लिए रोबोटिक उपकरणों को डिजाइन करने का चलन बढ़ा है। रोबोटिक पुनर्वास में, चिकित्सक को केवल पर्यवेक्षण और उपकरण को लगाने या प्रदान करने की आवश्यकता होती है।
रोगियों के उपचार के लिए अधिकांश मौजूदा रोबोटिक प्रणालियां केवल धनु तल (sagittal plane) में गति - वह काल्पनिक सतह जो शरीर को बाएं और दाएं भागों में विभाजित करती है, के आधार पर कार्य करती हैं। लेकिन, शोधकर्ता बताते हैं कि प्रभावित अंग की पुनर्सक्रियता के लिए गति का यह रूप पर्याप्त सुविधा प्रदान करने में सक्षम नहीं है। अनुप्रस्थ (ऊपरी और निचले शरीर) और कोरोनल (आगे और पीछे) गति आवश्यक होती है।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक ऐसे रोबोट की रूपरेखा प्रस्तुत की है जो तीनों सतहों; यानी धनु (sagittal), अनुप्रस्थ (transverse) और कोरोनल प्लेन (coronal plane) में टखने को गति प्रदान करने में सक्षम है।
डॉ मोहंता बताते हैं कि "उपचार के सही क्रम को क्रियान्वित करने पर पूर्ण पुनर्वास संभव है। रोबोट बिना थके इसे करने में सक्षम होंगे। रोबोट प्रशिक्षक पहनने योग्य उपकरण की तरह होंगे, जैसे कि एक्सोस्केलेटन, जो पैर को सहारा देता है। यह अनुप्रस्थ/क्षैतिज/पार्श्व और धनु/अनुदैर्ध्य तल में अंगों की गति के लिए कार्टेशियन (3-दिशात्मक) समानांतर सामांजस्य के आधार पर कार्य करता है। इस नये डिजाइन ने गति उपचारों की श्रेणी को निष्पादित करने के लिए एक बड़ा आयाम खोल दिया है।’’
डिजाइन किये गए रोबोटिक प्रशिक्षक की उपयोगिता की पुष्टि कंप्यूटर-आधारित सिमुलेशन और गति नियंत्रण योजना के साथ-साथ चिकित्सीय रूप से सुझायी गई चिकित्सीय गतियों के प्रदर्शन से की गई है। यह डिजाइन महत्वपूर्ण आवश्यक पुनर्वास चिकित्सीय अनुप्रयोगों को निष्पादित करने में सक्षम है। इनमें (शरीर की मध्य रेखा से दूर एक अंग या उपांग की गति), जोड़ (शरीर की मध्य रेखा की ओर एक अंग या उपांग की गति), फ्लेक्सन (झुकने की गति), और कूल्हे और घुटने के जोड़ों का विस्तार शामिल है।
(इंडिया साइंस वायर)
Robotic trainers will help in the rehabilitation of limbs