राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को दावा किया कि मुगल शहजादा दारा शिकोह को अपने पिता सम्राट शाहजहां के दरबार में शास्त्रार्थ के दौरान काशी के विद्वानों से ‘पराजय’ का सामना करना पड़ा जिसके बाद उसकी हिंदू ग्रंथों में दिलचस्पी जागी। सरसंघचालक बिहार के बक्सर जिले में एक धार्मिक समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने दावा किया कि शाहजहां ने बाद में ‘जजिया’ कर वापस ले लिया था। हालांकि, बादशाह के छोटे बेटे औरंगजेब के सिंहासन पर बैठने पर हिंदुओं पर जजिया कर फिर से लगाया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘जब शाहजहां ने फैसला किया कि ‘तीर्थ यात्रा’ करने वाले या किसी भी प्रकार की सभा आयोजित करने वाले सभी हिंदुओं को जजिया देना होगा, तो काशी के एक विद्वान, जिनका नाम मुझे याद नहीं है, ने समान विचारधारा वाले लोगों को इस कदम को चुनौती देने के लिए एकत्रित किया था।’’ उन्होंने कहा कि विद्वान की मंडली ने शाहजहां से मुलाकात की और पूछा कि कर लगाने के पीछे क्या तर्क था। उन्हें सम्राट द्वारा उचित रूप से बताया गया था कि इसका पैसे से कोई लेना-देना नहीं है और धर्म को बनाए रखने का इरादा था।
आरएसएस प्रमुख की ने कहा कि काशी के विद्वानों ने तब सम्राट से कहा कि एक शास्त्रार्थ कराएं जिसमें वह उनकी पसंद के विद्वानों के साथ बहस करेंगे। भागवत के मुताबिक शास्त्रार्थ छह महीने तक चला जिसके बाद शाहजहां ने हार मान ली। भागवत ने अंतिम मुगल सम्राट के बारे में कहा कि अनुभव ने शाहजहां को जजिया वापस लेने के लिए प्रेरित किया था, लेकिन उनके छोटे बेटे औरंगजेब के भाई की हत्या करके सिंहासन ग्रहण करने के बाद जजिया कर फिर से लगाया गया था।
उन्होंने कहा कि यह ज्ञात होना चाहिए कि शास्त्रार्थ ने दारा शिकोह को बहुत प्रभावित किया था, यही कारण है कि उन्होंने उपनिषदों, गीता और रामायण में रुचि ली और फारसी में इनका अनुवाद किया। आरएसएस प्रमुख बक्सर निवासी एक दिवंगत धर्मावलंबी श्रीमन नारायण दास भक्तमाली उपाख्य ‘मामा जी’ के दिवंगत गुरु महर्षि श्री खाकी बाबा सरकार के 53वें निर्वाण के अवसर पर यहां नया बाजार में आयोजित ‘‘सिय-पिय मिलन’’ महामहोत्सव में शामिल हुए। श्री सीता राम विवाह महोत्सव समिति आश्रम द्वारा इस महामहोत्सव का आयोजन किया गया था।
भागवत शुक्रवार शाम को पटना पहुंचे थे और एक समारोह में शिरकत की जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित बिहार सरकार के कई दिग्गज व्यक्ति शामिल हुए थे। सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल के बेटे के ‘तिलक’ (शादी से पहले की जाने वाली एक रस्म) के अवसर पर यह समारोह आयोजित किया गया था। आचार्य किशोर कुणाल को तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने अयोध्या विवाद को लेकर विश्वहिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता करने के लिए विशेष कर्तव्य अधिकारी के रूप में नियुक्त किया था।
वर्ष 2001 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद कुणाल ने खुद को धार्मिक गतिविधियों के लिए समर्पित कर दिया और पटना के सबसे बड़े मंदिरों में से एक का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट के प्रमुख बन गए। आचार्य किशोर कुणाल का बेटा नीतीश कुमार सरकार के सबसे प्रभावशाली मंत्रियों में से एक अशोक चौधरी की बेटी के साथ शादी रचाने जा रहा है। भागवत एक महीने से भी कम समय में बिहार की अपनी दूसरी यात्रा पर हैं, वे सारण और दरभंगा जिलों का भी दौरा करने वाले हैं।
Rss chief talks about jizya tax and its return during shahjahans time
Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero