Festivals

रुक्मिणी अष्टमी व्रत से होती है दाम्पत्य सुख की प्राप्ति

रुक्मिणी अष्टमी व्रत से होती है दाम्पत्य सुख की प्राप्ति

रुक्मिणी अष्टमी व्रत से होती है दाम्पत्य सुख की प्राप्ति

आज रुक्मिणी अष्टमी है, इस दिन भगवान कृष्ण और देवी रुक्मिणी के पूजा-पाठ का खास महत्व होता है, तो आइए हम आपको रुक्मिणी अष्टमी व्रत की विधि और महत्व के बारे में बताते हैं।

जानें रुक्मिणी अष्टमी के बारे में 
रुक्मिणी अष्टमी का पर्व पौष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। अष्टमी तिथि देवी रुक्मिणी के जन्म से संबंधित है इसलिए पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और देवी रुक्मिणी की पूजा की जाती है। देवी रुक्मिणी को माँ लक्ष्मी का ही अंश स्वरुप भी माना गया है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्री कृष्ण की सभी मुख्य भार्याओं में से एक रुक्मिणी जी भी थी जो उन्हें अत्यंत प्रिय थी और उनके जन्म दिवस का समय अत्यंत ही भक्ति भाव से मनाए जाने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। रुक्मिणी अष्टमी पर्व लोक परंपराओं में सदैव मौजूद रहा और ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्रियां अपने सौभाग्य में वृद्धि हेतु देवी रुक्मिणी का आशीर्वाद लेती है।

रुक्मिणी अष्टमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त 
हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 16 दिसंबर 2022 को सुबह 01 बजकर 39 मिनट से हो शुरू हो रही है जो अगले दिन 17 दिसंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 02 मिनट पर समाप्त हो रही है।

अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक
आयुष्मान योग- 16 दिसंबर सुबह 07 बजकर 46 मिनट से 17 दिसंबर सुबह 07 बजकर 34 मिनट तक

रुक्मिणी अष्टमी पर बन रहे ये शुभ योग 
पंडितों के अनुसार रुक्मिणी अष्टमी पर कुल चार शुभ योग बन रहे हैं। शुभ और सिद्धी योग के अलावा इस दिन प्रीति और आयुष्मान योग भी बन रहा है। ऐसे में रुक्मिणी अष्टमी व्रत और पूजा-पाठ का महत्व कई गुना अधिक हो गया है।

इसे भी पढ़ें: ग्रहों के राजा सूर्य 16 दिसंबर को करेंगे धनु राशि में प्रवेश, इन 4 राशियों के लिए हैं शुभ

रुक्मिणी अष्टमी का महत्व 
पौराणिक कथाओं के अनुसार पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी रुक्मिणी का जन्म हुआ था। देवी रुक्मिणी को मां लक्ष्मी का ही स्वरूप माना जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण और देवी रुक्मिणी की पूजा करने से संतान सुख और जीवन में सुख-समृद्धि आने की मान्यता है।

रुक्मिणी अष्टमी पर करें ये उपाय 
पंडितों के अनुसार रुक्मिणी अष्टमी के दिन भगवान कृष्ण, देवी रुक्मिणी और मां लक्ष्मी की पूजा करें। इस दिन तुलसी की पूजा कर गरीबों को खाना खिलाएं। यही नहीं इस दिन विशेष को जरूरतमंदों की मदद करें और बुजुर्गों का अपमान न करें। साथ ही हमेशा महिलाओं का सम्मान करें।

रुक्मिणी अष्टमी 2022 पूजा विधि 
शास्त्रों के अनुसार इस दिन सूर्योदय में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। भगवान कृष्ण और रुक्मिणी का ध्यान करें। इसके साथ की केला, तुलसी और पीपल में जल अर्पित करें। क्योंकि इन तीनों में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का वास होता है। अब एक चौकी में लाल या पीला रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश, श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। इसके बाद श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी की विधिवत पूजा करें। श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी को फूल, माला, सिंदूर, रोली, कुमकुम, नैवेद्य, अक्षत, पीला चंदन , पान सुपारी, लौंग, एक सिक्का, छोटी इलायची आदि अर्पित करें। भगवान कृष्ण को पीले और मां रुक्मिणी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। इसके साथ ही सोलह श्रृंगार अर्पित करें। भोग के रूप में खीर, मिठाई आदि चढ़ाएं और जल दें। घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत चालीसा, मंत्र के बाद आरती कर लें। अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

रुक्मिणी अष्टमी से जुड़ी पौराणिक कथा 
पौराणिक कथा के अनुसार, भीष्मक अपनी पुत्री रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से कराना चाहते थे, लेकिन देवी रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण की लीलाएं सुन रखी थीं, जिस वजह से वे उनको अपना पति मान चुकी थीं. शिशुपाल से विवाह वाले दिन रुक्मिणी को श्रीकृष्ण रथ पर अपने साथ द्वारिका ले गए और विवाह रचा लिया।

रुक्मिणी अष्टमी के दिन सुहागिन महिला को दें ये वस्‍तुएं
रुक्मिणी अष्‍टमी के दिन सुहागिन महिलाओं का आदर सत्‍कार जरूर करना चाहिए। इस दिन उन्हें मिठाई, वस्त्र, सुहाग सामग्री का दान दें। महिलाओं को मां लक्ष्‍मी का रूप माना जाता है। इस दिन किसी भी महिला को अपशब्‍द न बोलें और उनका आशीर्वाद लें।

- प्रज्ञा पाण्डेय

Rukmini ashtami fast brings marital happiness

Join Our Newsletter

Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero