प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने पूंजी बाजार नियामक सेबी सेआईसीआईसीआई बैंक की तरफ से वीडियोकॉन समूह समेत विभिन्न इकाइयों के लिये मंजूर कर्ज से संबंधित कुछ दस्तावेज इस निजी बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर को उपलब्ध कराने को कहा है। न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि अगर प्रतिवादी (सेबी) दस्तावेज दिये जाने से इनकार करता है, यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ होगा। यह मामला सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी एन श्रीकृष्ण की एक रिपोर्ट के विश्लेषण के आधार पर कोचर को नियामक की तरफ से जारी संशोधित कारण बताओ नोटिस से संबंधित है।
श्रीकृष्ण समिति को आईसीआईसीआई बैंक में एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने वाले लेन-देन के आरोपों की जांच करने का काम सौंपा गया था। समिति ने जनवरी, 2019 में बैंक को अपनी रिपोर्ट सौंपी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि कोचर ने बैंक नीतियों और अन्य नियमों का उल्लंघन किया है। रिपोर्ट के आधार पर बैंक के निदेशक मंडल ने आंतरिक नीतियों के तहत उनके इस्तीफे को उनकी सेवा समाप्त किये जाने के रूप में मानने का फैसला किया था। बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रहीं कोचर ने अक्टूबर, 2018 में बैंक छोड़ दिया था।
बंबई उच्च न्यायालय से कर्ज धोखाधड़ी मामले में अंतरिम जमानत मिलने के बाद कोचर और उनके पति दीपक कोचर को मंगलवार सुबह जेल से रिहा किया गया। सीबीआई ने वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई बैंक कर्ज मामले में चंदा कोचर और उनके पति को 23 दिसंबर, 2022 को गिरफ्तार किया था। यह आरोप लगाया गया था कि वीडियोकॉन प्रवर्तक वेणुगोपाल धूत ने 2012 में वीडियोकॉन समूह को आईसीआईसीआई बैंक से ऋण के रूप में 3,250 करोड़ रुपये मिलने के कुछ महीने बाद कथित तौर पर न्यूपावर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड में करोड़ों रुपये का निवेश किया था।
न्यूपावर दीपक कोचर की कंपनी थी। अपीलीय न्यायाधिकरण ने सेबी को दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए कहा कि वीडियोकॉन ग्रुप को स्वीकृत ऋण के संबंध में मंजूरी समिति की बैठकों का सभी ब्योरा दिया जाना चाहिए था। जबकि उन्हें उसी बैठकों के ब्योरे दिये गये जिसमें कोचर मौजूद थीं। सैट ने कहा कि कोचर ने जो दस्तावेज मांगे, वह पूर्ण रूप से उन्हें नहीं दिये गये। मंजूरी समिति की बैठकों का वही ब्योरा दिया गया, जिसमें कोचर मौजूद थी। जबकि अन्य ब्योरे इस आधार पर नहीं दिये गये कि वे बैठकों में मौजूद नहीं थीं।
न्यायाधिकरण ने पांच जनवरी के आदेश में कहा कि दस्तावेज उपलब्ध नहीं करने को लेकर प्रतिवादी की तरफ से किया गया अंतर पूरी तरह से बेतुका है। हालांकि, अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा कि बैंक के जिन 33 अधिकारियों से बातचीत की गयी और उनके रिकॉर्ड किये गये बयान तथा आईसीआईसीआई तथा सीबीआई के बीच पत्राचार की प्रति उपलब्ध नहीं करायी जा सकती। सैट ने कहा कि ये दस्तावेज नहीं दिये जा सकते क्योंकि यह श्रीकिृष्ण समिति से संबंधित नहीं है। सेबी के वकील ने कहा कि बैंक और सीबीआई के बीच पत्राचार रिपोर्ट का हिस्सा नहीं है और उसे उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है, जिसे सैट ने मान लिया।
Sat said sebi to provide complete documents to chanda kochhar in videocon icici case
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