यदि न्यायाधिकरणों द्वारा दिए गए निर्णयों को लागू नहीं किया जाएगा, तो भारत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र नहीं बन सकता। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को यह टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लि. (डीएएमईपीएल) के पक्ष में आए फैसले को लागू नहीं करने पर यह टिप्पणी की है। दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) को इस मामले में मध्यस्थता फैसले के अनुरूप डीएएमईपीएल को भुगतान करना है। एक मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने डीएएमईपीएल के पक्ष में फैसला दिया था।
डीएएमईपीएल सुरक्षा मुद्दों की वजह से एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो लाइन के परिचालन से हट गई थी। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने महान्यायवादी आर वेंकटरमणी से कहा कि शीर्ष अदालत ने इस फैसले को उचित ठहराया है और इसे लागू किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने वेंकरमणी से डीएएमईपीएल कर परिचालन करने वाली रिलायंस इंफ्रा को भुगतान करने की समयसीमा के बारे में पूछा। इस पर वेंकटरमणी ने चार सप्ताह का समय मांगा।
शीर्ष अदालत ने अगली सुनवाई के लिये 14 दिसंबर की तारीख तय की। न्यायालय ने पांच मई को उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें डीएमआरसी को मध्यस्थता न्यायाधिकरण के निर्णय के तहत ब्याज के साथ दो समान किस्तों में दो महीने में 4,600 करोड़ रुपये का भुगतान डीएएमईपीएल को करने को कहा गया था।
Sc says if judgments not implemented india wont become an international arbitration center
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