भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर और इंस्टिट्यूट ऑफ अर्थ साइंसेज, एकेडेमिया सिनिका, ताइवान के वैज्ञानिकों ने उस स्रोत का पता लगाने के लिए अध्ययन किया है जो गंभीर श्रेणी के चक्रवाती तूफानों को नमी प्रदान करता है। आईआईटी खड़गपुर ने भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर अनिंद्य सरकार के हवाले से एक बयान में बुधवार को कहा, ‘‘हमने हाल ही में 4/5 श्रेणी के नेपार्टक, मेरांटी, मलकास और मेगी नाम के ऐसे चार भयंकर तूफानों का अध्ययन किया, जिन्होंने 2016 में एक ही वर्ष में ताइवान में तबाही मचाई थी।’’
बयान में आईआईटी खड़गपुर के पूर्व विजिटिंग प्रोफेसर और अनुसंधान पत्र के प्रमुख लेखक सौरेंद्र भट्टाचार्य के हवाले से कहा गया है, चक्रवात अपनी यात्रा के दौरान भारी मात्रा में बारिश करता रहता है जिससे बचे हुए वाष्प द्रव्यमान में ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के समस्थानिकों के अनुपात में कमी आती है। हमने कमी की इस मात्रा पर नजर रखी, गणना की और यह देखने के लिए मॉडलिंग की कि इन गतिमान चक्रवातों से कितनी बारिश हुई।’’
एकेडेमिया सिनिका के प्रो माओ-चांग लियांग के हवाले से बयान में कहा गया है, जब ये तूफान ताइवान के पास पहुंचे तो हमने वाष्प में ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के समस्थानिकों को लगातार मापने के लिए एक ऊंची इमारत के ऊपर एक मास स्पेक्ट्रोमीटर रखा। इस तकनीक ने हमें हर दस मिनट में आंधी-तूफान के अंदर बदलाव दिखाया। लिआंग ने कहा, चूंकि जलवायु परिवर्तन के कारण चक्रवात की आवृत्ति और तीव्रता दोनों बढ़ रहे हैं, यह अवलोकन भारत और ताइवान/जापान दोनों क्षेत्रों में बार-बार आने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का अध्ययन करते समय बहुत महत्वपूर्ण होगा, इसने दोनों देशों के बीच भविष्य के सहयोग के रास्ते भी खोले हैं।
Scientists from iit kharagpur and taiwan institute studied cyclones
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