वर्ष 2022 में भू-राजनीतिक उथल-पुथल के अलावा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ऊर्जा कीमतों में तेजी और दुनिया भर में केंद्रीय बैंकों की सख्त मौद्रिक नीतियों से पैदा हुए दबाव के बीच भारतीय शेयर बाजारों ने अन्य बाजारों की तुलना में इन संकटों का कहीं बेहतर ढंग से सामना किया। घरेलू निवेशकों के अटूट विश्वास ने दलाल स्ट्रीट को वैश्विक उठा-पटक से काफी हद तक अनछुआ रखा और भारतीय बाजार के मानक सूचकांक ने निराशाजनक संकेतों का सामना आत्मविश्वास से किया। साल के ज्यादातर समय तक रही सुस्ती के बाद त्योहारी सत्र में सेंसेक्स ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी और यह एक दिसंबर को अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 63,284.19 पर बंद हुआ था।
हालांकि, वर्ष के अंत में तेजी की उम्मीद उस समय धूमिल होने लगी, जब चीन में कोविड संक्रमण के मामले दोबारा बढ़ने के साथ वैश्विक महामारी की एक और लहर आने की आशंका गहराने लगी। सेंसेक्स सालाना आधार पर (25 दिसंबर तक) सिर्फ 1.12 प्रतिशत ऊपर है, लेकिन अभी भी यह दुनिया का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला बड़ा बाजार सूचकांक है। वास्तव में कोई भी प्रमुख वैश्विक सूचकांक इस साल बढ़त हासिल नहीं कर सका।
इसमें डॉउ जोंस (2022 में अब तक 9.24 प्रतिशत नीचे), एफटीएसई 100 (0.43 प्रतिशत नीचे), निक्केई (10.47 प्रतिशत नीचे), हैंग सेंग (15.82 प्रतिशत नीचे) और शंघाई कंपोजिट सूचकांक (16.15 प्रतिशत नीचे) शामिल हैं। इसका काफी हद तक श्रेय घरेलू खुदरा और संस्थागत निवेशकों को जाता है, जिन्होंने नकारात्मक सुर्खियों के बावजूद बाजार पर भरोसा बनाए रखा और विदेशी फंडों द्वारा रिकॉर्ड बिकवाली के प्रभाव को खत्म कर दिया। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 2022 में अब तक भारतीय इक्विटी बाजारों से रिकॉर्ड 1.21 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं। इसके विपरीत घरेलू निवेशकों ने हर गिरावट पर खरीदारी की।
एनएसई में सूचीबद्ध फर्मों में 31 मार्च, 2022 को खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी 7.42 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। इस दौरान एसआईपी योजनाओं के जरिये म्यूचुअल फंड निवेश भी बढ़ रहा है, जो नवंबर में (इक्विटी और ऋण खंड) 13,306 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर को छू रहा है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रमुख (खुदरा शोध) सिद्धार्थ खेमका ने कहा, जीएसटी संग्रह नवंबर में लगातार आठवें महीने 1.4 लाख करोड़ रुपये से ऊपर रहा, जबकि ई-वे बिल मार्च 2022 से सात करोड़ की संख्या से ऊपर बना हुआ है। जीडीपी और पीएमआई जैसे अन्य आर्थिक संकेतक भी महामारी के बाद बेहतर हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत के बेहतर प्रदर्शन के पीछे मजबूत कॉरपोरेट आय के साथ केंद्र सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी का भी योगदान है।
Sensex weathers geopolitical tensions monetary tightening amid all round crisis
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