रूस तो भारत का दोस्त है और चीन घोषित तौर पर दुश्मन न सही लेकिन उसकी हरकतें किसी दुश्मन से कम नहीं है। फिर भला रूस और चीन का साझा युद्धाभ्यास क्यों हो रहा है? इस अभ्यास के दौरान भले ही दोनों देश मिसाइल, टैंक और पंडुब्बियों को कंधे से कंधा मिलाकर निशाना बनाएंगे। लेकिन रूस भारत का दोस्त है और वो उसके साथ कभी दगा नहीं कर सकता। रूस और चीन का ये युद्धाभ्यास 21 दिसंबर से 27 दिसंबर तक चलेगा। अमेरिका और पूरा यूरोप इस युद्धाभ्यास को लेकर भयभीत है। जबकि दुनिया की निगाहें भारत की ओर टिकी हैं।
चीन और रूस की नौसेना 21 से 27 दिसंबर के बीच दुनिया के सबसे विवादित क्षेत्र ईस्ट चाइना सी में युद्धभ्यास करने के लिए पहुंच रही है। खासबात ये है कि इस युद्धाभ्यास को लेकर चीन कुछ ज्यादा खुलासा नहीं करना चाहता। जबकि रूस अपने दोस्त भारत से कुछ छिपाना नहीं चाहता। मॉस्को ने घोषणा की कि उसके कई युद्धपोत बीजिंग की नौसेना के साथ इस सप्ताह से शुरू होने वाले नौसैनिक अभ्यास में भाग ले रहे हैं, क्योंकि रूस और चीन पश्चिम के दबाव के बीच संबंधों को गहरा कर रहे हैं। रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि मास्को और बीजिंग के बीच "नौसेना सहयोग को मजबूत करने" के उद्देश्य से अभ्यास 21 से 27 दिसंबर के बीच पूर्वी चीन सागर में होगा। एक बयान में कहा गया है कि इनमें मिसाइलों, तोपखाने की लाइव फायरिंग और पनडुब्बियों का मुकाबला करने के लिए अभ्यास शामिल होंगे।
अभ्यास का मुख्य लक्ष्य रूसी संघ और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के बीच नौसैनिक सहयोग को मजबूत करना, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखना है।"इसमें कहा गया है कि चीन दो विध्वंसक, गश्ती जहाज, एक आपूर्ति जहाज और एक पनडुब्बी शामिल करेगा। रूस ने ये भी बताया कि युद्धाभ्या के दौरान मिसाइल, टैंक और पंडुब्बियों को टारगेट करने का अभ्यास किया जाएगा। रूस की ओर से इसमें उसके चार युद्धपोत हिस्सा ले रहे हैं।
Show of power by russia and china in the world most disputed sea area
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