वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योग जगत से कहा है कि वह पश्चिम में मंदी की आशंका के बीच ऐसी रणनीति बनाए जिससे विकसित देशों में परिचालन कर रही कंपनियां भारत को एक उत्पादन या खरीद केंद्र के रूप में देख सकें। वित्त मंत्री ने शुक्रवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि भारत ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए काफी सुविधाएं दी हैं और नियमों में बदलाव किया है। इसके अलावा हम उन उद्योगों से भी संपर्क कर रहे हैं जो भारत आना चाहते हैं।
सीतारमण ने कहा, ‘‘आप खुद को पश्चिमी देशों और विकसित दुनिया में मंदी के लिए तैयार कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यह आपके लिए वहां काम कर रहे विनिर्माताओं को भारत लाने की रणनीति बनाने को सबसे अच्छा समय है।’’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘भले ही उनका मुख्यालय वहां है, लेकिन उनके लिए यह उपयोगी हो सकता है कि वे यहां से कई चीजें खरीदें। कम से कम दुनिया के इस हिस्से के बाजारों के लिए यहां से उत्पादन करें।’’
उन्होंने कहा कि संभावित मंदी का असर यूरोप पर भी पड़ेगा। इसका सिर्फ भारतीय कंपनियों के निर्यात पर असर नहीं होगा। सीतारमण ने कहा, ‘‘यह वहां के कई तरह के निवेश को अपने यहां लाने का अवसर देता है। अब वे ऐसे अलग स्थानों की तलाश कर रहे हैं जहां से वे अपनी गतिविधियों को चालू रख सकें।’’ राजनयिक मोर्चे पर भारत अब ‘चीन प्लस वन’ पर काम रहा है। यह अब यूरोप के साथ भी है। ऐसे में ‘प्लस वन’ अब ‘प्लस टू’ हो गया है।
उल्लेखनीय है कि ‘चीन प्लस वन’ एक रणनीति है, जिसमें कंपनियां केवल चीन में निवेश के बजाए अपने कारोबार को अन्य गंतव्यों पर ले जाकर उसे विविध रूप देने का प्रयास कर रही हैं। कंपनियां पिछले दो साल में महामारी और चीन की कोविड महामारी की रोकथाम के लिये कड़ी नीति से आपूर्ति व्यवस्था बिगड़ने के कारण निवेश के लिये वैकल्पिक स्थानों पर विचार कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में सरकार अब सिर्फ बात नहीं कर रही है। सरकार इसपर काम कर रही है। कई तरह की सुविधाएं दे रही है और नियमों में बदलाव ला रही है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उन निवेशकों और उद्योगों के साथ बैठकर बात करें, जो यहां आना चाहते हैं। यानी या तो वे और गंतव्य की तलाश में हैं या पूरी तरह वहां से निकलना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि वियतनाम, फिलिपीन और इंडोनेशिया काफी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। भारत के प्रति भी आकर्षण है। वित्त मंत्री ने उद्योग से कहा कि वह विनिर्माण पर ध्यान दे।
उन्होंने इन दलीलों को खारिज कर दिया कि भारत को चीन के विनिर्माण आधारित वृद्धि के मॉडल को नहीं अपनाना चाहिए। सीतारमण ने कहा, ‘‘यदि कुछ इस तरह की आवाजें उठ रही हैं कि भारत को विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, सिर्फ सेवाओं पर ध्यान देना चाहिए। उनसे मैं कहूंगी कि ऐसा नहीं हो सकता। हम विनिर्माण पर ध्यान दे रहे हैं। हम सेवाओं के नए क्षेत्रों पर ध्यान दे रहे हैं।’’
कई अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को आंख मूंदकर चीन के विनिर्माण आधारित वृद्धि के मॉडल को अपनाने के बजाय सेवाओं पर ध्यान देना चाहिए। सीतारमण ने उद्योग से स्टार्टअप इकाइयों के नवोन्मेष को देखने और उन्हें बढ़ाने के तरीकों पर विचार करने को कहा। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत विनिर्माण और सेवाओं के नए क्षेत्रों पर ध्यान देता रहेगा। सीतारमण ने कहा कि दुनिया स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बदलाव की ओर है, ऐसे में घरेलू उद्योग को विकसित देशों द्वारा ऊंचे शुल्क का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने उद्योग जगत से कहा कि वह सरकार को बताए कि जलवायु परिवर्तन उन्हें कैसे प्रभावित कर रहा है। साथ ही वे उनकी लागत पर पड़ रहे बोझ को कम करने के उपाय भी सुझाएं। वित्त मंत्री ने कहा कि उद्योग को जलवायु परिवर्तन के नाम पर कुछ देशों द्वारा खड़ी की जाने वाले शुल्क की दीवारों के लिए खुद को तैयार करना चाहिए। आगामी बजट पर उन्होंने कहा कि यह अगले 25 साल के लिए भारत को तैयार करने के पिछले कुछ बजट की भावनाओं के अनुरूप होगा।
Sitharaman said industry should strategize to bring global manufacturers to india
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