स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने शुक्रवार को खाद्य नियामक, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकारण (एफएसएसएआई) से पोषण जानकारी संबंधी लेबलिंग पर संशोधित मानदंड पेश करने का आग्रह किया। एसजेएम ने दावा किया कि यह मसौदा नियम ‘उद्योग के प्रभाव’ को दर्शाता है और सार्वजनिक हितों को पूरा नहीं करता है। एसजेएम के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने एफएसएसएआई को पत्र लिखकर प्रस्तावित नियम पर आपत्ति जताई है और आरोप लगाया कि मसौदा विनियमन खाद्य उद्योग के पक्ष में है, न कि सार्वजनिक स्वास्थ्य की पक्षधर है।
एफएसएसएआई ने सितंबर में डिब्बाबंद खाद्यपदार्थ विक्रेता कंपनियों के लिए खाद्य पदार्थों के ‘फ्रंट-ऑफ-पैकेज लेबलिंग’ (एफओपीएल या खाद्यपादर्थो के पैकेट के सामने वाले हिस्से में पोषक तत्वों का विवरण छापने) के लिए एक मसौदा विनियमन जारी किया और संबंधित पक्षों से टिप्पणी मांगी थी। प्रस्तावित नियम में उपभोक्ताओं को खाद्य पदार्थो के पोषण मूल्य के बारे में सूचित करने के मकसद से डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर पांच सितारा रेटिंग देने की बात कही गयी है।
एसजेएम ने एफएसएसएआई को लिखे अपने पत्र में कहा कि एफओपीएल को जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए ताकि उपभोक्ता पूरी जानकारी के आधार पर विकल्प चुन सकें। आरएसएस से जुड़े संगठन ने कहा कि मसौदा विनियमन ने खाद्य उत्पादों को ‘कम स्वास्थ्यप्रद से स्वास्थ्यप्रद’ के रूप में वर्गीकृत करने का प्रस्ताव दिया है, जो भ्रामक लगता है। महाजन ने कहा, ‘‘रेटिंग वाला एफओपीएल बिल्कुल भी मददगार नहीं है। कोई भी यह नहीं समझ सकता है कि दो स्टार वाले भोजन में चीनी या नमक निर्धारित मात्रा से अधिक है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एसजेएम की एफएसएसएआई से जानने की अधिक जिज्ञासा होगी कि कैसे अति प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद को इस तरह से वर्गीकृत किया जा सकता है।’’ महाजन ने कहा, ‘‘एफएसएसएआई को खाद्य सुरक्षा अधिनियम की शुचिता को बनाए रखने की जरूरत है।’’ एसजेएम के सह-संयोजक ने कहा कि न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर एफओपीएल को अपनाने वाले अधिकतर देशों ने स्वास्थ्य-स्टार रेटिंग के बजाय चेतावनी लेबल देने का विकल्प चुना है। उन्होंने कहा, ‘‘ऑस्ट्रेलिया के अनुभव पर भी अब सवाल उठाए जा रहे हैं और ऑस्ट्रेलियाई सरकार इस मुद्दे पर पुनर्विचार कर रही है।
Sjm said food regulations draft on star rating in favor of industry norms need to be amended
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