साख निर्धारण एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय बैंकों के प्रदर्शन में अंतर बना रहेगा, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े बैंक अभी भी संपत्ति के मोर्चे पर गुणवत्ता की कमी, कर्ज की ऊंची लागत और खराब कमाई की समस्या से जूझ रहे हैं। उसने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक और निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों ने कमोबेश संपत्ति गुणवत्ता से जुड़ी चुनौतियों का समाधान किया है और उनका लाभ बैंक उद्योग के मुकाबले सुधर रहा है।
एसएंडपी ने वैश्विक बैंक परिदृश्य...2023 शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा कि मजबूत बही-खाते की स्थिति और उच्च मांग से कर्ज में वृद्धि की संभावना है लेकिन जमा वृद्धि उस अनुपात में नहीं होगी। रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘बैंकों के प्रदर्शन में अंतर बना रहेगा।’’ रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र के कई बड़े बैंक संपत्ति की खराब गुणवत्ता, कर्ज की ऊंची लागत और कमजोर कमाई से जूझ रहे हैं। इसी प्रकार, वित्तीय कंपनियों का प्रदर्शन मिला-जुला रहने की संभावना है। प्राय: इन वित्तीय कंपनियों की संपत्ति गुणवत्ता निजी क्षेत्र के बड़े बैंकों के मुकाबले कमजोर रहती है।’’
एसएंडपी ने कहा कि कर्ज में वृद्धि वर्तमान मूल्य पर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में बढ़ोतरी के अनुरूप रहेगी। साथ ही खुदरा क्षेत्र को दिये जाने वाले कर्ज में वृद्धि लगातार कंपनी ऋण से ज्यादा बने रहने की संभावना है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर नरम रहने का अनुमान है क्योंकि मौद्रिक स्थिति कड़ी बनी हुई है और उपभोक्ता महंगाई में घिरे हैं। हालांकि, वित्त वर्ष 2024-26 में 6.5 से सात प्रतिशत जीडीपी वृद्धि के साथ मध्यम अवधि में भारत की आर्थिक वृद्धि दर की संभावना मजबूत बनी रहनी चाहिए।
Sp said gap in indian banks performance to remain
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