बिहार पुलिस ने सोमवार को इस आरोप का खंडन किया कि सारण जिले के एक पुलिस थाने में रखा ‘स्पिरिट’ जहरीली शराब कांड के लिए जिम्मेदार था। सारण में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से 38 लोगों की मौत हो गयी है। पटना में पत्रकारों से बात करते हुए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एस.के. सिंघल ने कहा, ‘‘यह महज आरोप है और इसका कोई आधार नहीं है। शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि सारण जिले के एक थाने में रखे स्पिरिट का इस्तेमाल जहरीली शराब बनाने के लिए नहीं किया गया है। आगे की जांच जारी है और जो भी दोषी पाये जाएंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि सारण में मशरख थाने के प्रभारी और अन्य अधिकारियों के खिलाफ पहले ही कार्रवाई की जा चुकी है। उल्लेखनीय है कि भाजपा नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने 17 दिसंबर को सारण जिले के मशरख और अन्य इलाकों का दौरा कर मृतकों के परिजनों से मुलाकात की थी। दौरे के बाद प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने दावा किया था कि इस कांड के पीड़ितों ने जिस शराब का सेवन किया, उसे शराब के निर्माण और बिक्री में शामिल एक गिरोह द्वारा वितरित किया गया था और इसे बनाने में थाने द्वारा जब्त की गई स्पिरिट का उपयोग किया गया।
निलंबित आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार के खिलाफ जांच के बारे में पूछे जाने पर डीजीपी ने कहा, ‘‘फरार आईपीएस को पकड़ने के लिए बिहार पुलिस ने पहले ही अभियान शुरू कर दिया है। चूंकि मामले की जांच जारी है इसलिए इस समय कुछ भी टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।’’ 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी आदित्य करीब दो महीने से फरार हैं। आईपीएस अधिकारी बिहार के गया जिले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात रहने के दौरान शराब माफियाओं के साथ उनकी कथित सांठ-गांठ के एक मामले में गिरफ्तारी से बच रहे हैं।
Spoiled liquor tragedy bihar dgp refutes bjp leaders allegations
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