दिल का दौरा पड़ने के बाद ‘कार्डियोपल्मोनरी रिससिटैशन’ (सीपीआर) की मदद से बचे पांच लोगों में से एक मरीज मृत्यु के उस अनुभव का स्पष्ट वर्णन कर सकता है, जब वह बेहोश था और मौत के करीब पहुंच गया था। यह जानकारी अपनी तरह के पहले अध्ययन से मिली है। वास्तव में सीपीआर जान बचाने की एक तकनीक है जिसमें मरीज के सीने को दबाना और मुंह से सांस देना होता है। यह कई आपात स्थितियों में उपयोगी साबित होता है, जैसे किसी को दिल का दौरा पड़ा हो या कोई डूबते-डूबते बचा हो और उसकी सांस या दिल की धड़कन रुक गई हो।
यह शोध सर्कुलेशन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है और इसके अनुसार शोध में अमेरिका और ब्रिटेन में ऐसे 567 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया, जिनके दिल ने अस्पताल में भर्ती कराते समय धड़कना बंद कर दिया था और मई 2017 से मार्च 2020 के बीच उन्हें सीपीआर दिया गया था। शोधकर्ताओं के अनुसार जीवित बचे लोगों ने अपने अनुभव साझा किए जिनमें शरीर से अलग होने का अनुभव, बिना दर्द या परेशानी के घटनाओं को देखना और जीवन का सार्थक मूल्यांकन शामिल है।
इसमें उनके कार्यों, इरादों और अन्य लोगों के प्रति अपने विचार शामिल हैं। टीम ने मौत के करीब के इन अनुभवों को दु:स्वप्न, भ्रम, सपने या सीपीआर से जुड़ी चेतना से अलग पाया। अमेरिका के शिकागो शहर में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के वैज्ञानिक सत्र 2022 में पेश किए गए इस शोध में मस्तिष्क की गुप्त गतिविधियों के परीक्षण भी शामिल थे।
Study says few survivors after heart attack can clearly describe the experience of death
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