नयी दिल्ली। कर्ज में दबी रियल्टी कंपनी सुपरटेक के अंतरिम समाधान पेशेवर ने एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें कहा गया है कि इस कंपनी ने संबंधित विकास प्राधिकरणों से अधिभोग प्रमाण-पत्र (ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट या ओसी) प्राप्त किए बगैर ही 18 आवासीय परियोजनाओं में 9,705 फ्लैट घर मालिकों को सौंप दिए। अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) हितेश गोयल ने कंपनी के बारे में स्थिति रिपोर्ट राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) को सौंपी। सुपरटेक ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के इस वर्ष 25 मार्च के आदेश को अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती दी है।
नसीएलटी ने कंपनी के खिलाफ दीवाला कार्यवाही शुरू की थी। यह मामला अभी एनसीएलएटी के समक्ष लंबित है। यह स्थिति रिपोर्ट उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड में 18 आवासीय परियोजनाओं से संबंधित है। इसे एनसीएलएटी को 31 मई को सौंपा गया था। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘प्रबंधन से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक 148 टॉवर/भूखंड/विला में करीब 10,000 आवास ऐसे हैं जिनमें कब्जे की पेशकश ओसी मिले बगैर ही की गई। इनमें से 9,705 फ्लैट मालिकों ने ओसी के बगैर ही कब्जा ले लिया। इन परियोजनाओं में ग्रेटर नोएडा में इको-विलेज-1 में ओसी के बगैर सर्वाधिक3,171 कब्जे दिए गए।
इस रिपोर्ट में गोयल ने कहा कि प्रबंधन ने यह स्पष्ट किया है कि केवल उन्हीं टॉवर में कब्जा देने की पेशकश की गई जिनके लिए ओसी का आवेदन दिया है और जिनके लिए संबंधित अधिकारियों से वैध अनापत्ति प्रमाणपत्र मिल चुके हैं। प्रबंधन ने यह भी कहा कि वैसे तो ये टॉवर सौंपने के लिहाज से तैयार हैं लेकिन सुपरटेक लिमिटेड के बकाया का भुगतान नहीं हो सका है इसलिए इनके ओसी अधिकारियों के पास ही हैं। उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के कानूनी सलाहकार वेंकेट राव ने कहा, ‘‘बिल्डर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में विकास प्राधिकरणों से जमीन पट्टे पर ले लेते हैं, वहां परियोजना का निर्माण करते हैं लेकिन पट्टे की राशि का भुगतान नहीं करते। ऐसे में जब तक बकाया का भुगतान नहीं हो जाता, विकास प्राधिकरण उन्हें ओसी नहीं देते।
Supertech handed over possession of 9705 flats without occupancy certificates report
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