15 अगस्त 2021 यानी आज से करीब 16 महीने पहले अफगानिस्तान में तालिबान वापस लौटा तो उसके साथ चार करोड़ की आबादी वाले देश में डर की भी वापसी हुई थी। ज्यादातर लोगों को डर था कि दोबारा उन्हें उस अमानवीय और अत्याचारी शासन में रहना पड़ेगा जिसे वो 20 साल पहले भुगत चुके हैं। इसलिए इतिहास में दर्ज तालिबान की क्रूरता को लेकर सारी दुनिया की निगाहें अफगानिस्तान पर थी। तालिबान भी इस बात को जानता था, इसलिए उनसे सारी दुनिया के सामने अफगानिस्तान के लोगों से शांति और स्थिरता का वादा किया था। ये भी कहा था कि वो किसी भी नागरिक पर इस्लामिक नियम नहीं थोपेगा। लेकिन वो सारी बातें झूठी थी। पिछले 16 महीने के शासन में तालिबान ने ये दिखाया कि वो बदला नहीं है बल्कि उसकी बातें बदल गई है। उसकी सोच आज भी ढाई दशक पुरानी है।
15 अगस्त 2021 को तालिबान राज की जब अफगानिस्तान में वापसी हुई थी तो सबसे ज्यादा डर महिलाओं में देखा गया था। जिन्होंने सबसे अधिक तालिहबानी क्रूरता झेली थी। उनका डर गलत नहीं था। कुछ ही महीनों में उनका डर सच में बदल गया। अब तालिबान के महिला विरोधी फैसलों के बाद उसकी तरफ से दो टूक कह दिया गया है कि वो इसे नहीं बदलने वाला है। तालिबान सरकार के शिक्षा मंत्री निदा मोहम्मद नदीम ने कहा है कि चाहे अफागानिस्तान पर परमाणु बम गिरा दिया जाए, पर इस्लामिक अमीरात सरकार अपना फैसला नहीं बदलने वाली है।
तालिबानी मंत्री मोहम्मद नदीम ने साफ कहा है कि अफगानिस्तान एक संप्रभु देश है। ऐसे में दुनिया के बाकी देशों को उसके आंतरिक मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट कर दिया की उनकी सरकार कका लिया गया निर्णय इस्लामिक कानूनों के अनुसार है और ये नहीं बदलने वाला है, चाहे जितना भी दबाव बना लिया जाए।
पहले तालिबान ने अफगान पर कब्जा करने के बाद महिलाओं और युवतियों की शिक्षा को लेकर फरमान जारी किया था। जिसमें कहा गया था कि पुरुषों के स्कूलों में महिला व युवती नहीं पढ़ सकेंगी। साथ ही इन्हें महिला टीचर ही पढ़ा सकेंगे। जिसके बाद उच्च शिक्षा मंत्री के एक पत्र के अनुसार तालिबान ने अफगानिस्तान में युवतियों और महिलाओं के लिए संचालित विश्वविद्यालयों को बंद करने का ऐलान किया है।
Talibani education minister decision to ban women will not change
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