एटीपी एकल रैंकिंग में शीर्ष 300 में भारत का एक भी टेनिस खिलाड़ी नहीं है। टाटा ओपन महाराष्ट्र एटीपी 250 टूर्नामेंट में भारत के एक भी खिलाड़ी को एकल मुख्य ड्रॉ में सीधे प्रवेश नहीं मिला। वाइल्ड कार्ड से खेलने वाले तीन भारतीयों में से कोई भी दूसरे दौर में नहीं पहुंच सका। इस साल आस्ट्रेलियाई ओपन क्वालीफायर में एक भी भारतीय खिलाड़ी नहीं है। दूसरी ओर 11 भारतीय युगल खिलाड़ी शीर्ष 300 में और चार शीर्ष सौ में हैं। दो शीर्ष सौ में पहुंचने की दहलीज पर हैं। जूनियर दिनों में विश्व के नंबर एक खिलाड़ी बने युकी भांबरी ने भी अपने कैरियर को विस्तार देने के लिये युगल पर ही फोकस करने का फैसला किया है।
यानी भारत में एक एकल टेनिस का भविष्य नजर ही नहीं आ रहा। लिएंडर पेस और महेश भूपति के दौर के बाद प्रभावित करने वाले युकी, सुमित नागल, प्रजनेश , रामकुमार में से कोई भी भारत में अभ्यास नहीं कर रहा। अधिकांश यूरोप के विभिन्न हिस्सों में हैं। नागल को भूपति से सहयोग मिला जबकि रामकुमार को बार्सीलोना में अभ्यास में टीएनटीए मदद कर रहा है। युकी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तो मदद की जरूरत नहीं है। प्रजनेश के साथ उनके पिता है जो उनकी हर जरूरत का ख्याल रख रहे हैं।
भारत में एक एटीपी 250 और तीन चार चैलेंजर टूर्नामेंट होते हैं और वह भी तीन राज्यों तक ही सिमटे हैं। एकल टेनिस में भारत की स्थिति बहुत खराब है जिससे लगता है कि भारत को एकल खेलना छोड़़ ही देना चाहिये। इस दशा तक पहुंचने के कई कारण है और सबसे मूल कारण यह है कि टेनिस एक महंगा खेल है। पूर्वोत्तर, बिहार, उत्तर प्रदेश या पंजाब में युवा टेनिस नहीं खेलते लेकिन पहाड़ों पर या वीरान मैदानी इलाकों में भी बच्चे क्रिकेट खेलते दिख जाते हैं। आप घर के पास गली में बैडमिंटन खेल सकते हैं लेकिन टेनिस नहीं। शुरूआती स्तर का रैकेट 4000 रूपये का आता है।
इसके बाद तार हर सप्ताह बदलनी पड़ती है जो न्यूनतम 600 रूपये की आती है। तीन गेंद की कीमत 400 रूपये है और तेज खेलने पर एक सत्र के बाद ही गेंद बेकार हो जाती है। टेनिस कोर्ट भी मुफ्त खेलने के लिये उपलब्ध नहीं हैं। फिर कोचिंग भी बहुत महंगी है। इन सबके बाद भारत में एटीपी चैलेंजर टूर्नामेंट भी इक्के दुक्के होते हैं। भारतीयों को अनुभव के लिये यूरोपीय देशों में जाना पड़ता है और यह जेब पर बहुत भारी पड़ता है। इस स्थिति से उबरने के लिये टेनिस को लोकप्रिय बनाना होगा और देश भर के स्कूलों में टेनिस कोर्ट उपलब्ध कराने के लिये अखिल भारतीय टेनिस संघ को पहल करनी होगी। हर राज्य में इंटर स्कूल टूर्नामेंट कराने होंगे। इसके साथ ही घरेलू एटीपी चैलेंजर सर्किट बनाना होगा। पुराने खिलाड़ियों को साथ लेकर चलना होगा।
The agony of indian tennis the future is not visible in singles
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