रेलवे की 29 एकड़ भूमि से अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले पर उच्चतम न्यायालय के रोक के आदेश की जानकारी मिलते ही बनभूलपुरा में जश्न शुरू हो गया। घर पर मंडरा रहे ध्वस्तीकरण के खतरे से मिली राहत से उत्साहित लोगों ने एक-दूसरे को गले लगाकर मुबारकबाद दी और मिठाई बांटी। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार एवं रेलवे को नोटिस भेजकर मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है। शीर्ष अदालत मामले की अगली सुनवाई सात फरवरी को करेगी।
उच्चतम न्यायालय के स्थगनादेश के बाद बनभूलपुरा के रहने वाले एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘हम शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं। मामले में राजनीति की जा रही थी, जो गलत है।’’ रोक की खबर मिलते ही एक मस्जिद के सामने धरने पर बैठे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने अपना विरोध समाप्त कर दिया और एक-दूसरे को गले लगाया। स्थानीय निवासियों ने चाय बनाना शुरू किया और भीड़ के बीच मिठाई और खजूर बांटे। इस दौरान कुछ लोगों ने जश्न में राष्ट्रीय ध्वज लहराया। बच्चों के एक समूह ने बैनर उठाए थे, जिस पर ‘‘धन्यवाद, सुप्रीम कोर्ट।’’ हालांकि इसकी वर्तनी गलत थी।
स्थानीय निवासी विक्की खान ने कहा, ‘‘हमारी प्रार्थनाओं का जवाब मिल गया है। यह हमारे लिए ईद के जश्न से कम नहीं है। हम शीर्ष अदालत के साथ-साथ मीडिया के भी आभारी हैं, जिसने जमीनी स्थिति दिखाई।’’ अहमद अली नूरी नामक एक अन्य व्यक्ति ने हाड़ कंपा देने वाले सर्द मौसम में पिछले दिनों के आंदोलन को याद किया। उन्होंने कहा, ‘‘विरोध सिर्फ हमारे लिये नहीं था, बल्कि यह पूरे हल्द्वानी के लिये था।’’
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 20 दिसंबर को बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की 29 एकड़ जमीन से ‘अतिक्रमण’ हटाने और इसे खाली करने के लिए स्थानीय लोगों को एक सप्ताह का नोटिस देने का निर्देश दिया था। रेलवे ने 4,000 से अधिक ऐसे परिवारों की पहचान की है, जिनके बारे में उसका कहना है कि उन्होंने उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया है। शहर में रेलवे स्टेशन के निकट इस क्षेत्र के रहने वाले एक अन्य निवासी ने कहा, ‘‘हम उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं। हमारे पास दस्तावेज हैं। बनभूलपुरा, शेष हल्द्वानी की तरह ‘नजूल’ भूमि पर स्थित है। अगर आप हमें हटाते हैं, तो आपको पूरे हल्द्वानी को हटाना होगा। हमारे साथ यह भेदभाव क्यों?’’
इससे पहले स्थानीय लोगों ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली अपनी याचिकाओं पर सुनवाई से पहले यहां एक मस्जिद के सामने धरना दिया और नमाज अदा की। बृहस्पतिवार की सुबह इसके खिलाफ धरना देने वालों में बड़ी संख्या में महिलाएं एवं बच्चे शामिल थे। स्थानीय लोगों ने दावा किया कि उनके पास दस्तावेज हैं जो यह साबित करता है कि इलाके में उनका घर वैध है। स्थानीय वरिष्ठ निवासी अहमद अली ने कहा, ‘‘पूरी दुनिया के मुसलमान शीर्ष अदालत की तरफ उम्मीद से देख रहे हैं। लोग यहां 100 से अधिक सालों से रहते आ रहे हैं। उनके पास साक्ष्य एवं दस्तावेज हैं। हमें उम्मीद है कि शीर्ष अदालत न्याय करेगी और ऐसा आदेश देगी जो हमारे अनुकूल होगा।’’
एक अन्य निवासी नईम ने दावा किया कि उनके पूर्वज पिछले 200 सालों से यहां रहते आ रहे हैं। जिले के मंगलौर से कांग्रेस के पूर्व विधायक और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव काजी निजामुद्दीन ने कहा, ‘‘इलाके में दो इंटर कॉलेज, विद्यालय, अस्पताल, पानी टंकी और 1970 में बिछाई गयी सीवर लाइन भी है। यहां एक मंदिर और एक मस्जिद भी है।
The people of banbhoolpura welcomed the apex courts stay on the order to demolish the house
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