छतों पर लगने वाली टाइल के लिए मशहूर मेंगलुरु का 157 साल पुराना ‘मैंगलोर टाइल्स’ उद्योग इस समय तमाम वजहों से संकट से गुजर रहा है और अब इसके वैभवशाली इतिहास की सिर्फ यादें ही बची हुई हैं। ‘मैंगलोर टाइल्स’ छत पर लगने वाली टाइल की पहचान बनी रही हैं। इनकी गुणवत्ता, आकार और रंगों ने इन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ख्याति दिलाई। वर्ष 1865 में इस शहर में इसका पहला कारखाना शुरू हुआ था और बीती सदी तक यह खूब फला-फूला।
लेकिन समय के साथ कच्चे माल की कमी होने और जीवनशैली में बदलाव से बीते तीन दशकों से यह उद्योग मुश्किलों का सामना कर रहा है। यहां 1990 के दशक की शुरुआत में करीब 75 टाइल निर्माण कारखाने थे लेकिन वर्ष 2010 तक इनकी संख्या घटकर 12 रह गई और अब तो केवल तीन इकाइयां ही बची रह गई हैं। बदलते चलन और निर्माण तरीकों से टाइल उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ और 1980 के दशक में मैंगलोर टाइल्स की मांग घटती गई।
उद्योग के सूत्रों ने बताया कि बाजार के कमजोर होने के पीछे श्रमिक न मिलना, टाइल की विनिर्माण लागत और परिवहन संबंधी बदलाव जैसे कई कारण रहे हैं। मेंगलुरु में अब भी रूफ टाइल्स बनाने का काम सॉवेरन टाइल फैक्ट्री (1929 में स्थापित), कासकिया टाइल फैक्ट्री (1916) और सबसे पुरानी अल्बकुर्की टाइल फैक्ट्री (1868) कर रही हैं। कासकिया टाइल फैक्ट्री के साझेदार इयान लोबो ने कहा कि छतों की टाइल के बाजार में अब कुछ दम नहीं रह गया है जिसकी वजह से ईंटें बनाने लगे हैं। उन्होंने बताया कि केवल अल्बुकर्क एंड संस फर्म ही छत की टाइल बना रही है और मेंगलुरु की बाकी इकाइयां बंद हो चुकी हैं।
The pride of mangaluru the tile industry reached the verge of closure
Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero