इस साल ज्यादातर समय महंगाई के आरबीआई के संतोषजनक स्तर छह प्रतिशत से ऊपर रहने के बाद खुदरा मुद्रास्फीति धीरे-धीरे नरम पड़ रही है। हालांकि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति को और कम करने के प्रयास जारी रहेंगे। वर्ष के दौरान कच्चे तेल और खाद्य तेलों, दालों तथा सब्जियों की कीमतों में तेजी के चलते मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर बनी रही। रूस-यूक्रेन युद्ध ने महंगाई को हवा दी, जिसने वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था को बाधित किया और कई वस्तुओं की कीमतों को बढ़ा दिया। भारतीय रिजर्व बैंक (आबीआई) ने इस साल मई के बाद से अल्पकालिक उधार दर (रेपो) में 2.25 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी की है।
इसके साथ ही रेपो दर लगभग तीन साल के उच्च स्तर 6.25 प्रतिशत पर पहुंच गई है। केंद्रीय बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति दो से छह प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। वर्ष के दौरान कच्चे तेल और खाद्य तेलों, दालों तथा सब्जियों की कीमतों में तेजी के चलते मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर बनी रही। रूस-यूक्रेन संघर्ष ने महंगाई को हवा दी, जिसने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर दिया और कई वस्तुओं की कीमतों को बढ़ा दिया। भारतीय रिजर्व बैंक (आबीआई) ने मई के बाद से नीतिगत दर रेपो में 2.25 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी की है।
इसके साथ ही रेपो दर लगभग तीन साल के उच्च स्तर 6.25 प्रतिशत पर पहुंच गई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल में कहा था कि वैश्विक संकट, वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता, घरेलू उत्पादन कीमतों और मौसम संबंधी व्यवधानों के चलते मुद्रास्फीति का दबाव बना हुआ है। वर्ष के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप सहित दुनिया भर के नियामकों के लिए मुद्रास्फीति एक बड़ी चुनौती थी। मुख्य रूप से रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान पड़ा और जिंस कीमतें आसमान पर पहुंच गईं।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 2016 में शुरुआत के बाद पहली बार आरबीआई ने सरकार को रिपोर्ट सौंपकर बताया कि जनवरी से लगातार तीन तिमाहियों में मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से अधिक क्यों रही। थोक मुद्रास्फीति नवंबर में 5.85 प्रतिशत तक गिरने से पहले सितंबर तक दहाई अंकों में थी। उम्मीद है कि दिसंबर तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 6.6 प्रतिशत और मार्च तिमाही में घटकर 5.9 प्रतिशत रह जाएगी। रेटिंग फर्म इक्रा के अनुसार अगले 12 महीनों में मुद्रास्फीति में कमी आने की संभावना है।
The war against inflation will continue amid global uncertainties
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