द कश्मीर फाइल्स के विरोध में बोलने वालों को दरअसल पच नहीं रहा है सच
गोवा में आयोजित भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में इंटरनेशनल फिल्मों की ज्यूरी के प्रमुख इजराइली फिल्मकार नदव लैपिड ने विवेक अग्निहोत्री की फिल्म, “द कश्मीर फाइल्स” को ''वल्गर प्रोपेगेंडा'' और घटिया करार देकर एक बहुत ही शर्मनाक व घटिया हरकत की है। उनके बयान से ऐसा लगता है कि नदव लैपिड भारत के उस छद्म वामपंथी गिरोह की साजिशों का हिस्सा बन गये हैं जो हिंदू समाज से नफरत करता है। इस विषाक्त बयान के पश्चात सोशल मीडिया में वह सभी लोग इससे भी अधिक निकृष्ट शब्दों का प्रयोग करके ऐसे खुशी मना रहे हैं जैसे उन्होंने एक बहुत बड़ी लड़ाई जीत ली हो। जो लोग आज नदव लैपिड के बयान पर नाच रहे हैं उन्हें ईश्वर और देश की जनता दोनों शांत भाव से देख रहे हैं।
नदव लैपिड का बयान बहुत ही घटिया हरकत है जिसकी जितनी भी निंदा व विरोध किया जाए कम होगा। वास्तव में यह लोग कश्मीरी हिन्दुओं के अस्तित्व को ही नकार रहे हैं और उनके नरसंहार तथा हिंदू बहन- बेटियों के साथ हुए अमानवीय अत्याचारों को सही ठहराकर उसका जश्न मना रहे हैं। ऐसे लोगों को यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर राज्य सहस्त्राब्दियों से भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा।
नदव की टिप्पणी पर आनंद मनाने वालों को इस बात का अनुमान नहीं है कि भारत की जनता अब हर बात को बहुत ही बारीक तरीके से समझ रही है और इन लोगों को बड़ी शांति के साथ कूड़ेदान में पहुंचाने जा रही है। यह अनर्गल प्रलाप करने वाला टूलकिट गैंग है जो समय-समय पर जीवित हो जाता है। विगत दिनों जब भारतीय सेना के कमांडर ने कहा था कि भारतीय सेना पाक अधिकृत कश्मीर को किसी भी क्षण पाकिस्तान से आजादी दिलाने के लिए तैयार है, तब एक फ्लॉप और धर्मान्तरित फिल्मी कलाकार ऋचा चड्ढा ने भारतीय सेना को अपमानित करने के लिए गलवान की घटना की याद दिलाते हुए एक ट्वीट किया था जिसके बाद काफी हंगामा मचा था और अदाकारा को माफ़ी मांगनी पड़ी थी जबकि यह टूलकिट गैंग, वामपंथी तथा कांग्रेसी उसका बचाव कर रहे थे।
आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेसी, वामपंथी, सेकुलर गैंग के साथ-साथ महाराष्ट्र में नए सेकुलर बने संजय राउत जैसे लोग भी नदव के बयान का समर्थन करते हुए कह रहे हैं कि यह फिल्म एक धर्म विशेष के खिलाफ चलाया गया प्रोपेगेंडा ही था। और तो और भारतीय सेना को समर्थन देने के लिए अक्षय कुमार को कनाडाई कहने वाले विदेशी नदव की टिप्पणी का आनंद उठा रहे हैं। वास्तव में “द कश्मीर फाइल्स” उन लोगों को वल्गर लग रही है जिन्होंने “मिशन कश्मीर” और “शिकारा” जैसी फर्जी प्रेम कहानियां गढ़कर कश्मीर में हुए हिन्दू जेनोसाइड पर व्हाइट वाश करने का प्रयास किया था। “द कश्मीर फाइल्स” उन लोगों को भी पसंद नहीं आएगी जिनको वास्तविक इतिहास से घृणा है और जो लोग कभी इस्लामी आतंकवादी हिंसा का शिकार नहीं हुए हैं। आज वे लोग भी विदेशी फिल्मकार नदव की टिप्पणी का आनंद उठा रहे हैं जो भारत- इजराइल मैत्री के विरोधी रहे हैं।
“द कश्मीर फाइल्स” के अभिनेता अनुपम खेर ने नदव लैपिड के साथ-साथ टूलकिट गैंग पर भी निशाना साधते हुए कहा, कि “द कश्मीर फाइल्स” फिल्म नहीं बल्कि एक आंदोलन है, कुछ लोगों को यह सच पच नहीं रहा है। ये न इसे निगल पा रहे हैं और न उगल। इस सच को झूठा साबित करने के लिए उनकी आत्मा जो मर चुकी है बुरी तरह से छटपटा रही है। जो सच जितना भद्दा और नंगा है उसे अगर आप देख नहीं पाते तो आंखें बंद कर लीजिए मगर उसका मजाक उड़ाना बंद कीजिए।
जब यह फिल्म सिनेमाघरों में प्रदर्शित की जा रही थी और लोकप्रियता की हर पायदान पार कर रही थी उस समय भी तथाकथित सेकुलर गैंग ने जम्मू-कश्मीर के गुपकार गठबंधन के नेतृत्व में विरोध की पराकाष्ठा कर दी थी। फिल्म की लोकप्रियता के कारण उनको शांत होना पड़ा लेकिन अब नदव के बयान से उनको पुनः ऑक्सीजन मिल गयी। अब वामपंथी, सेकुलर कांग्रेसी, देशविरोधी अभियान चलाने वाला सेकुलर टुलकिट गैंग कश्मीरी हिन्दुओं का ही नहीं अपितु उनकी आड़ में समस्त हिंदू सनातन संस्कृति का अपमान कर रहा है। फिल्म के निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने कहा है कि अगर विरोधी फिल्म के किसी भी हिस्से को झूठा साबित कर दें तो वह फिल्म बनाना छोड़ देंगे।
फिल्मकार नदव लैपिड के बयान के बाद इजरायली राजदूत नाओर गिलोन ने नदव को तगड़ी फटकार लगाते हुए उनके बयानों को पूरी तरह से खारिज किया और इसके लिए भारत से माफी मांगी है। गिलोन ने कहा कि नदव ने भारतीय संस्कृति में अतिथि को भगवान मानने की परम्परा का असम्मान और आतिथ्य का दुरूपयोग किया है। ज्यूरी प्रमुख के नाते लैपिड के बयान ने न केवल समारोह के आयोजकों को हतप्रभ किया अपितु सरकार के लिए असहज स्थितियां पैदा कीं। राजदूत गिलोन ने कहा कि यह फिल्म कश्मीर की संवेदनशीलता को दर्शाती है और हम लैपिड के बयान की निंदा करते हैं।
पूरे भारत में फिल्मकार नदव लैपिड के बयान पर हंगामा मचा हुआ है, सभी सरकार विरोधी राजनैतिक दल जहां नदव के बयान के साथ खड़े हैं वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री सहित गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत तक नदव के बयान की कड़ी निंदा कर रहे हैं। द कश्मीर फाइल्स को वल्गर बताने वाले फिल्मकार नदव लैपिड के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में भी जोरदार विरोध प्रदर्शन हो रहा है जिसमें प्रदर्शनकारी नदव को तत्काल भारत से वापस भेजने की मांग कर रहे हैं।
हिजबुल मुजाहिदीन के हमले में मारे गए प्रधानाचार्य अशोक कुमार रैना के बेटे विकास रैना ने कहा कि द कश्मीर फाईल्स ने कश्मीरी पंडितों के पलायन पर सच्चाई को छुपाने के लिए तैयार किए गए 30 साल पुराने प्रोपेगेंडा को बेनकाब कर दिया है। उन्होंने पूछा कि क्या यह लैपिड हमारा दर्द समझता है ? जब मैं बच्चा था तब मैंने अपने पिता को खो दिया था। यह भारत की “शिंडलर्स लिस्ट” है और यह हमारा सत्य भी है। जम्मू-कश्मीर के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रवींद्र रैना का कहना है कि नदव को पहले जम्मू-कश्मीर में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के शिविरों का दौरा करना चाहिए। इस तरह की टिप्पणी की उम्मीद केवल उस व्यक्ति से की जा सकती है जो जमीनी स्थिति के साथ ही यह भी नहीं जानता कि आतंकवाद के चलते लोग कितने प्रभावित हुए हैं चाहे उनका धर्म कोई भी हो। पाक समर्थित आतंकवाद ने पिछले तीन दशकों में एक लाख लोगों की जान ली है और इसके चलते कश्मीरी पंडितों को अपने घरों से पलायन करना पड़ा।
“द कश्मीर फाइल्स” आतंकवाद के भयावह दौर तथा सात सत्य घटनाओं पर बनी एक सच्ची फिल्म है। इन घटनाओं के सबूत उपलब्ध हैं। यह सेकुलर लोग झूठ पर आधारित कहानियां तो पढ़ लेते हैं लेकिन इस्लामी आतंकवाद के कारण हुई हिन्दू त्रासदी की असली कहानी इनको वल्गर लगती है क्योंकि इन लोगों को हिंदुओं का पलायन, उनकी हत्या, उनकी बहन–बेटियों के सार्वजनिक बलात्कार का समर्थन करने में आनंद मिलता है। “द कश्मीर फाइल्स” का विरोध करने वाला गैंग बहुत ही खतरनाक और मानसिक विकृति का गैंग है जो जम्मू-कश्मीर की शांत हो रही स्थिति में अशांति का जहर घोलना चाहता है।
-मृत्युंजय दीक्षित
Those speaking against the kashmir files are actually not digesting the truth