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Prabhasakshi NewsRoom: घर तक आतंक पहुँचने से पहले ही उस पर तगड़ा प्रहार करना जरूरीः प्रधानमंत्री

Prabhasakshi NewsRoom: घर तक आतंक पहुँचने से पहले ही उस पर तगड़ा प्रहार करना जरूरीः प्रधानमंत्री

Prabhasakshi NewsRoom: घर तक आतंक पहुँचने से पहले ही उस पर तगड़ा प्रहार करना जरूरीः प्रधानमंत्री

आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के तरीकों पर चर्चा के लिए दिल्ली में आज से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन शुरू हुआ। इसमें 75 देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं लेकिन पाकिस्तान ने इस सम्मेलन से दूरी बना ली है। पाकिस्तान का दूरी बनाना इसलिए जायज है क्योंकि जिस देश की आधिकारिक नीति ही आतंकवाद को बढ़ावा देने की हो वह आखिर किस मुंह से आतंक के वित्त पोषण पर रोक लगाने के सम्मेलन में हिस्सा लेता।

जहां तक इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री के संबोधन की बात है तो आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत ने आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया है और वह तब तक चैन से नहीं बैठेगा जब तक इसे जड़ से उखाड़ कर फेंक नहीं दिया जाता। प्रधानमंत्री ने राजधानी स्थित होटल ताज पैलेस में आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर ‘आतंक के लिए कोई धन नहीं’ (नो मनी फॉर टेरर) विषय पर आयोजित मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि दशकों से विभिन्न नामों और रूपों में आतंकवाद ने भारत को चोट पहुंचाने की कोशिश की और इस वजह से देश ने हजारों कीमती जीवन खो दिए लेकिन इसके बावजूद देश ने आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया है।

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सम्मेलन का आयोजन भारत में होने की अहमियत को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने आतंकवाद की भयावहता को गंभीरता से लेने की बहुत पहले ही पहल की थी। उन्होंने कहा, "हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक आतंकवाद को उखाड़ नहीं फेंका जाता।" मोदी ने कहा कि आतंकवाद का दीर्घकालिक स्वरूप विशेष रूप से गरीबों या स्थानीय अर्थव्यवस्था पर चोट करता है, चाहे वह पर्यटन हो या व्यापार। उन्होंने कहा कि कोई भी उस क्षेत्र में जाना पसंद नहीं करता है जो खतरे में है और इसके कारण लोगों की रोजी-रोटी छिन जाती है। उन्होंने कहा, "यह अधिक महत्वपूर्ण है कि हम आतंकवाद के वित्तपोषण की जड़ पर प्रहार करें।"

प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान का नाम लिये बिना उस पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ देश अपनी विदेश नीति के तहत आतंकवाद का समर्थन करते हैं। वे उन्हें राजनीतिक, वैचारिक और वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों को यह नहीं सोचना चाहिए कि युद्ध नहीं होने का मतलब यह है कि शांति बनी हुई है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को खत्म करने के लिए एक व्यापक, सक्रिय और व्यवस्थित प्रतिक्रिया की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर हम चाहते हैं कि हमारे नागरिक सुरक्षित रहें, तो हम तब तक इंतजार नहीं कर सकते जब तक कि आतंक हमारे घरों में न आ जाए। हमें आतंकवादियों के वित्त पर चोट करनी चाहिए। उन्होंने साथ ही कहा कि जो लोग या देश आतंकवाद का समर्थन करते हैं उन्हें अलग-थलग किया जाना चाहिए।

हम आपको बता दें कि इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर मौजूदा अंतरराष्ट्रीय शासन की प्रभावशीलता के साथ-साथ उभरती चुनौतियों के समाधान के लिए आवश्यक कदमों पर विचार-विमर्श करने के लिए किया गया है। इस सम्मेलन में दुनिया भर के लगभग 450 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इनमें मंत्री, बहुपक्षीय संगठनों के प्रमुख और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख शामिल हैं।

इस सम्मेलन के दौरान, चार सत्रों में 'आतंकवाद और आतंकवादी वित्तपोषण में वैश्विक रुझान’, ‘आतंकवाद के लिए धन के औपचारिक और अनौपचारिक चैनलों का उपयोग’, ‘उभरती प्रौद्योगिकियां और आतंकवादी वित्तपोषण’ और ‘आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने में चुनौतियों के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग’ विषयों पर चर्चा की जाएगी।

हम आपको बता दें कि यह तीसरा मंत्री स्तरीय सम्मेलन है। इससे पहले यह सम्मेलन अप्रैल 2018 में पेरिस में और नवंबर 2019 में मेलबर्न में आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन के आयोजन से पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय यह स्पष्ट कर चुका था कि मोदी सरकार आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की नीति पर चल रही है और वह इस बुराई के खिलाफ भारत की लड़ाई में उसके संकल्प से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अवगत कराएगी।

उल्लेखनीय है कि पूरी दुनिया जानती है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत का सदैव कड़ा रुख रहा है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जब भी मौका मिला भारत ने इस सबसे बड़ी बुराई के खिलाफ सबको एकजुट करने का प्रयास किया है। अभी हाल ही में संपन्न जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी भारत ने इस विषय को प्रमुखता से उठाया था जिसके बाद जी-20 देशों ने विश्व समुदाय से धन शोधन तथा आतंकवाद के वित्त पोषण से प्रभावी रूप से निपटने के अपने प्रयासों को तेज करने के लिए कहा था। जी-20 समूह ने वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की रणनीतिक प्राथमिकताओं पर खरा उतरने की प्रतिबद्धता भी दोहरायी थी। गौरतलब है कि एफएटीएफ धन शोधन, आतंकवाद के वित्त पोषण और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता से जुड़े अन्य खतरों से निपटने के लिए 1989 में स्थापित एक अंतर सरकारी संस्था है। भारत का यह भी मानना है कि नये तरह के आर्थिक अपराधों से निपटने के लिये व्यवस्था को चाक चौबंद बनाने की जरूरत है। भारत ने आर्थिक अपराधों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग मजबूत बनाने की जरूरत पर भी सदैव जोर दिया है।

Those supporting radicalisation should not have a place in any nation pm modi

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