Recap 2022 । ईरान में हिजाब कानून के खिलाफ प्रदर्शन से लेकर चीन में बेकाबू होते कोरोना तक, पढ़ें इस साल की टॉप अंतर्राष्ट्रीय खबरें
इस साल अंतर्राष्ट्रीय पर बहुत से ऐसे घटनाक्रम घटित हुए, जिन्होंने दुनियाभर को हिला कर रख दिया। साल की शुरुआत के एक महीने बाद ही रूस ने यूक्रेन पर हमले करने शुरू कर दिए। रूस-यूक्रेन युद्ध में न जानें अब तक कितने लोगों अपनी जान गवां दी हैं, इसके बावजूद भी दोनों देश युद्ध रोकने को तैयार नहीं हैं। इसके अलावा ईरान में महिलाएं अपने अधिकारों के लिए विरोध-प्रदर्शन करती नजर आईं। वहीं साल के अंत में चीन में कोरोना का कहर मचा हुआ है। साल 2022 की शुरुआत से लेकर अंत तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर लोगों को बहुत खून-खराबा देखने को मिला।
रूस और यूक्रेन का युद्ध इस साल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर घटित की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है। दोनों देशों के बीच चल रहा यह युद्ध इस साल फरवरी में शुरू हुआ था, लेकिन 10 महीने बीत जाने के बाद भी इसके खत्म होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। नाटो से नजदीकियां बढ़ाने से नाराज होकर रूस ने यूक्रेन पर हमले करने शुरू किए थे। पुतिन ने अपनी सेना और हथियारों पर भरोसा करके यूक्रेन के साथ युद्ध तो छेड़ दिया लेकिन इसकी बड़ी कीमत उन्हें चुकानी पड़ रही है। वहीं यूक्रेन में इमारतें भले गिर रही हैं लेकिन इस देश के हौसले युद्ध के पहले दिन के जैसे बुलंद हैं। युद्ध के शुरुआती दिनों में रूस ने यूक्रेन के कई इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया था, जिसे देश वापस ले चुका है। दोनों देशों के बीच चल रहे इस युद्ध का परिणाम दुनियाभर को भुगतना पड़ रहा है।
भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका एक बार फिर से विरोध प्रदर्शनों का सामना कर रहा है जिससे देश के हालात एक बार फिर से खराब होने का अंदेशा है। दरअसल आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को दोबारा अपने पैरों पर खड़े होने के लिए जितनी मदद चाहिए उतनी उसे मिल नहीं पा रही है। श्रीलंका की सरकार के पास भी सीमित संसाधन है जिससे वह लोगों की जरूरतें पूरी नहीं कर पा रही है और इसके चलते लोगों का आक्रोश भड़कता जा रहा है। श्रीलंका के लोगों को लगता है कि अस्थायी सरकार उनके मसलों का हल नहीं निकाल सकती इसीलिए वहां जल्द से जल्द चुनाव कराये जाने चाहिए ताकि देश पर छाया संकट दूर हो सके।
पाकिस्तान की राजनीति में इस साल बड़ा फेरबदल देखने को मिला। इमरान खान को सत्ता से बेदखल करते हुए नेशनल असेंबली ने शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री चुना। इसी के साथ शहबाज शरीफ पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री बन गए। पाकिस्तान में सत्ता गंवाने के बाद इमरान खान को एक और बड़ा झटका तब लगा, जब चुनाव आयोग ने उन्हें पांच साल के लिए अयोग्य करार दिया। इसके बाद इमरान खान ने 'आजादी' मार्च की शुरुआत की, इस दौरान उनको जान से मारने के लिए गोली चलायी गयी। हालाँकि, इमरान बच गए और उन्होंने फिर से अपनी रैली शुरू की।
ईरान में इस समय महिलाओं ने हिजाब के विरोध में जोरदार आंदोलन छेड़ा हुआ है। हिजाब विरोधी आंदोलन इसलिए शुरू हुआ है क्योंकि महसा आमीनी नामक 22 साल की युवती को तेहरान में हिजाब नहीं पहनने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस गुनाह की उसे हिरासत में इतनी सख्त सजा दी गयी कि यातनाओं के चलते उसकी मौत हो गयी। इस घटना ने ईरानी महिलाओं का गुस्सा भड़का दिया। छात्राएं और महिलाएं अपने-अपने हिजाब उतार कर फेंकने लगीं, सामूहिक रूप से हिजाब विरोधी नारे लगाये जाने लगे, हिजाब के विरोध में कॉलेजों में हड़ताल कर दी गयी, हिजाब को आग के हवाले किया जाने लगा, प्रदर्शनकारी महिलाएं हिम्मत दिखाते हुए सीधे पुलिस से भिड़ने लगीं, यही नहीं, ईरानी महिलाएं अपने बाल तक कटवा रही हैं।
चीन में विरोध प्रदर्शन बढ़ने से परेशान वहां की सरकार ने जीरो कोविड नीति में छूट तो दे दी लेकिन उसके बाद कोरोना के मामले जिस तेजी से बढ़े हैं उससे देश के हालात को संभालना राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बलबूते से बाहर होता जा रहा है। शी जिनपिंग ने जो वायरस दुनिया को निबटाने के लिए बनवाया था वही वायरस अब उनको ही निबटाने में लगा हुआ है। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए चीनी अर्थव्यवस्था को झटके पर झटके लग रहे हैं क्योंकि कारोबार बंद है, ऑफिसों में ताले लग गये हैं, देश में निवेश आना भी बंद हो गया है, वायरस आ जाने के डर से दुनिया के अन्य देश चीनी माल खरीदने से कतराने लगे हैं जिससे हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर तरह तरह के सामान से भरे कंटेनरों का अंबार लगा हुआ है और उसके अंदर रखा माल सड़ रहा है।
अमेरिका में मध्यावधि चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली रिपब्लिकन पार्टी की एकतरफा लहर की जो संभावना जताई जा रही थी वह गलत साबित हुई है। पूर्वानुमानों के विपरीत जो बाइडन कई दशकों के अमेरिकी इतिहास में ऐसे राष्ट्रपति बन गये हैं जिनके नेतृत्व वाली पार्टी ने मध्यावधि चुनावों में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया। डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रदर्शन से खुश जो बाइडन अपने अगले कार्यकाल को लेकर भी बहुत आशान्वित नजर आ रहे हैं लेकिन देखना होगा कि उम्र उनका साथ देती है या नहीं। चुनावों के अब तक सामने आये परिणाम यह भी दर्शा रहे हैं कि अमेरिकी जनता ने बीच का रास्ता अपनाया है और किसी एक पार्टी को वह प्रचंड बहुमत देने से बची है।
ऋषि सुनक बनाम लिज ट्रेस यानी ब्रिट्रेन के प्रधानमंत्री बनने की रेस पांच सितंबर को खत्म हो गई। जब लिज ट्रस ने 20 हजार से ज्यादा वोटों से ऋषि सुनक को मात देकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की पहली पसंद बनीं। लेकिन सत्ता संभालने के 45 दिनों के भीतर ही हालात ऐसे बने कि उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। लिज के इस्तीफे के बाद ऋषि सुनक ब्रिटेन के 57वें प्रधानमंत्री बने। वह जैसे ही 10 डाउनिंग स्ट्रीट के अपने आधिकारिक आवास पर पहुंचे। सभी की नजरें उन पर टिकी रह गई। ब्रिटेन का सबसे बड़ा अखबार गार्जियन एक हिंदू प्रधानमंत्री के स्वागत की हेडलाइन लिख रहा था- First Hindu at No. 10 यानी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास टेन डाउनिंग स्ट्रीट में पहला हिंदू रहने जा रहा है।
इंडोनेशिया की नयी आपराधिक संहिता के प्रावधानों पर गौर करें तो यह काफी खतरनाक प्रतीत हो रहे हैं। इसके कई प्रावधान ऐसे हैं जो नागरिकों की कीमत पर शासन को सशक्त बनाते हैं। इस संहिता के जिन प्रावधानों का तगड़ा विरोध दुनियाभर में हो रहा है उनमें कामुकता विरोधी कानून सबसे प्रमुख है। इस प्रावधान के तहत इंडोनेशिया में अब विवाहेत्तर यौन संबंध के लिए एक साल तक की जेल की सजा है। इसके अलावा एक अन्य प्रावधान में कहा गया है कि जो जोड़े कानूनी रूप से विवाह किए बगैर एक साथ रहते हैं उन्हें भी जेल जाना पड़ेगा।
Top international news highlights of 2022