सामाजिक समरसता बिगाड़ने की हो रही कोशिश? हिमाचल और गुजरात में AAP का कितना स्कोप
देश में फिलहाल कई मुद्दों को लेकर हलचल तेज है। महंगाई, रूस-यूक्रेन युद्ध और साथ ही साथ पाकिस्तान के मुद्दे को लेकर हर चौक-चौराहे पर लगातार चर्चा होती रहती है। हालांकि इस सप्ताह के चाय पर समीक्षा में हमने इस बात पर चर्चा की कि आखिर देश में लाउडस्पीकर के जरिए अजान के मुद्दे को लेकर इतना हंगामा क्यों है? इसके अलावा नवरात्रि के समय मीट बैन की मांग आखिर तेज क्यों हो रही है? हमेशा की तरह प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में मौजूद रहे संपादक नीरज कुमार दुबे। लाउडस्पीकर के जरिए अजान और मीट बैन की उठ रही मांगों पर उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह मुद्दे इसलिए उठाए जा रहे हैं ताकि असल मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इन मुद्दों में कोई गंभीरता नहीं है। यह सामाजिक समरसता को बिगाड़ सकते हैं। ऐसे में इन्हें दूर ही रखा जाना चाहिए।
कार्यक्रम में अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए नीरज दुबे ने कहा कि हमारा संविधान सभी को एक दायरे में रहकर धार्मिक प्रक्रिया के पालन करने का अधिकार देता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बताया था कि आप कितने डेसीमल तक लाउडस्पीकर को बजा सकते हैं। जाहिर सी बात है सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का मकसद साफ और साफ तौर पर यह था कि लाउडस्पीकर की वजह से किसी को असुविधा नहीं हो और आप अपने धार्मिक अनुष्ठान को भी पूरा कर सकें। उन्होंने कहा कि अगर इस तरह के विवाद उठेंगे और सामने हमारा यह कहा जाएगा कि हम लाउडस्पीकर के जरिए अपने धर्म की बात करेंगे तो वही दूसरा पक्ष भी जबरदस्ती इसके पलटवार में लाउडस्पीकर लगाएगा जो कि किसी भी समाज के लिए सही नहीं है। यही कारण है कि एक संवैधानिक दायरे में रहकर हम सभी को अपने धार्मिक अनुष्ठान को पूरा करना चाहिए।
मीट की दुकानों को बंद करने की मांग
नवरात्रि में मीट की दुकानों को बंद करने की उठ रही मांग पर भी नीरज दुबे ने अपनी बात रखी। नीरज दुबे ने इसको लेकर यह कहा कि जाहिर सी बात है कि नवरात्रि हिंदुओं का बड़ा त्यौहार है। इस दौरान ज्यादातर हिंदू व्रत रखते हैं। ऐसे में मीट की खपत कम हो जाती है। हालांकि इस बार नवरात्रि और रमजान एक साथ ही है। यही वजह है कि मीट की दुकानों को बंद करने का मुद्दा उछाला जा रहा है। इन मुद्दों पर आपसी बातचीत से हल निकाला जा सकता है। इस पर राजनीति करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। नवरात्रि के समय पहले भी दुकानें बंद रहा करती थी। लेकिन इस बार इस को हवा देने की कोशिश की जा रही है। नीरज दुबे ने कहा कि मीट की दुकानों को बंद करने का आदेश अचानक देने से दुकानदारों को नुकसान होता है। आप इसके लिए 10 से 15 दिन पहले ही उन्हें बता दें ताकि वह अपने स्टोक को कम रखें। ऐसे में उन्हें नुकसान भी नहीं होगा। लेकिन नीरज दुबे ने इस बात पर ज्यादा जोर दिया कि इस तरह के फैसले जब भी हो, वह बातचीत के आधार पर हो। इसमें जबरदस्ती करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
आप की राजनीति
राजनीतिक मुद्दे पर बात करते हुए हमने यह सवाल किया कि आखिर जिस तरीके से पंजाब में जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी लगातार दूसरे राज्यों में विस्तार की कोशिश कर रही है, उससे उसको कितना फायदा होगा? जवाब में नीरज दुबे ने यह कहा कि मुझे लगता है कि आम आदमी पार्टी एक राजनीतिक पार्टी है और उसे किसी भी राज्य में अपनी पार्टी को विस्तार करने का हक है। लेकिन इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि आप मुफ्त की राजनीति करके अपनी पार्टी का विस्तार करने की कोशिश कर रही हैं तो यह देश के लिए घातक साबित हो सकता है। उन्होंने हरियाणा के मंत्री अनिल बैज के आम आदमी पार्टी को बच्चा पार्टी बताए जाने वाले बयान का जिक्र करते हुए कहा कि कहीं ना कहीं पार्टी में अभी अपरिपक्वता दिखाई देती है। उसके नेताओं को काम करने की आवश्यकता है। पर वे ज्यादा चुनावों में व्यस्त होते जा रहे हैं। पंजाब में सरकार बने अभी महीने दिन भी पूरे नहीं हुए हैं, लेकिन भगवंत मान हिमाचल और गुजरात के दौरे कर रहे हैं। नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि भगवंत मान को पहले राज्य के मुद्दों को सुलझाना चाहिए। बाद में दूसरे राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए जाना चाहिए।
नीरज दुबे ने कहा कि भगवंत मान ने आते ही कई सारे विवादित मुद्दे को छेड़ दिए हैं। जाहिर सी बात है कि यह उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता को दर्शाती है। चंडीगढ़ को लेकर जिस तरीके से भगवंत मान ने बयान दिए हैं, वह सही नहीं है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी दूसरे राज्यों में विस्तार कर रही है। लेकिन जिन राज्यों में सत्ता में है, वहां कामकाज पर ध्यान नहीं दे रही है। आरोप लगाने के लिए वे सीधे तौर पर केंद्र सरकार पर हमला करती है जो कि सही नहीं है। पंजाब में आप ने कई बार मुफ्त के वादे किए थे लेकिन आज वे केंद्र सरकार से लगातार पैसे की मांग कर रहे हैं। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि आम आदमी पार्टी देश के युवाओं को मुक्त खोर बनाने की कोशिश कर रही है, जो कि सही नहीं है। यह देश को श्रीलंका की ओर धकेल सकता है। जिस तरीके से श्रीलंका की स्थिति है, वैसे ही कभी भारत की स्थिति हो सकती है अगर आम आदमी पार्टी फ्री की पॉलिटिक्स जारी रखती है तो।
- अंकित सिंह
Trying to spoil social harmony scope of aap in himachal and gujarat