शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने बुधवार को कहा कि अदालतें सरकार के ‘अवैध फैसलों’ को विधिमान्य बनाने के लिए नहीं गठित की गई हैं। पार्टी ने नोटबंदी की कवायद को वैध ठहराने के फैसले को ‘आर्थिक नसंहार’ का बचाव करने जैसा करार दिया। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में लिखा गया है कि उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने वर्ष 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी को वैध करार दिया, जबकि ‘‘ देश को न्यायमूर्ति (बी.वी.) नागरत्ना पर गर्व है, जिन्होंने अपनी असहमति वाले फैसले में लिखा कि यह पूरी तरह से जरूरत से अधिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए लिया गया फैसला था।’’
संपादकीय में कहा गया न्यायमूर्ति नागरत्ना का असहमति वाला फैसला ‘देश की जनता की राय’ है। ‘सामना’ ने लिखा, ‘‘अदालतें सरकार के अवैध फैसलों को वैध बनाने के लिए गठित नहीं की गई हैं।’’ संपादकीय में इसके साथ ही, पेगासस जासूसी कांड, राफेल लड़ाकू लड़ाकू विमान खरीद सहित विभिन्न मामलों का उल्लेख किया गया जिनमें फैसला सरकार के पक्ष में गया था। सामना ने लिखा, ‘‘नोटबंदी को वैध कहना देश में आर्थिक नरसंहार का बचाव करने जैसा है।’’
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने सोमवार को 4:1 के बहुमत से दिए अपने फैसले में कहा कि वर्ष 2016 में केंद्र द्वारा 500 और 1000 रुपये के बैंक नोटों को चलन से बाहर करने के लिया गया फैसला न तो प्रक्रिया के तहत गलत था और न ही जल्दबाजी में लिया गया था। संपादकीय में यह भी कहा गया है कि नोटबंदी के घोषित किसी भी उद्देश्य को हासिल नहीं किया जा सका और इससे केवल सरकार के करीबियों को ‘‘काला धन सफेद करने’’ में मदद मिली।
उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना ने कहा कि यह कहा गया था कि नोटबंदी की कवायद जाली नोट पर रोक लगाने और कश्मीर में आतंकवादियों के वित्तपोषण को रोकने के लिए की जा रही, लेकिन ‘‘काला धन, आतंकवाद, मादक पदार्थ की तस्करी अब भी व्याप्त है तथा कई लाख करोड़ रुपये का मादक पदार्थ गुजरात के बंदरगाह पर बरामद किया गया है।’’ संपादकीय में कहा गया कि नोटबंदी के कारण बैंकों के सामने कतार में खड़े सैकड़ों लोगों की मौत हुई, कारोबार प्रभावित हुए और लाखों लोग बेरोजगार हुए।
Uddhav led shiv sena said courts not set up to legalize illegal decisions of government
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