संयुक्त राष्ट्र महासभा ने म्यांमा की सैन्य सरकार जुंटा, अफगानिस्तान के तालिबान शासकों और लीबिया की विरोधी सरकार का विश्व निकाय में अपने-अपने देश की सीट संभालने का अनुरोध शुक्रवार को खारिज कर दिया। संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों ने ‘क्रेडेंशियल्स कमेटी’ की उस सिफारिश को मंजूरी देने के लिए सर्वसम्मति से वीटो किया कि संयुक्त राष्ट्र में अपने-अपने राजदूत भेजने के इन तीनों देशों के अनुरोध को खारिज किया जाए। इस फैसले का मतलब है कि संयुक्त राष्ट्र में म्यांमा का प्रतिनिधित्व क्याव मो तुन करते रहेंगे, जो आंग सान सू ची के नेतृत्व वाली निर्वाचित सरकार को एक फरवरी 2021 को सत्ता से बेदखल किए जाने के वक्त म्यांमा के राजदूत थे।
वहीं, अफगानिस्तान की सीट राष्ट्रपति अशरफ गनी की अगुवाई वाली देश की पूर्व सरकार के पास रहेगी, जिन्हें तालिबान ने अगस्त 2021 में सत्ता से बेदखल कर दिया था। इसी तरह, पश्चिमी लीबिया में राजधानी त्रिपोली स्थित सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले राजदूत ताहिर एलसोनी देश के राजदूत बने रहेंगे। ‘क्रेडेंशियल्स कमेटी’ की अध्यक्ष एवं संयुक्त राष्ट्र में गुयाना की राजदूत कैरोलिन रोड्रिगेज बिर्केत ने कहा, ‘‘महासभा के 77वें सत्र में समिति ने म्यांमा, अफगानिस्तान और लीबिया के प्रतिनिधियों से जुड़े परिचय पत्रों पर विचार-विमर्श को भविष्य के लिए टालने का फैसला किया है। महासभा का यह सत्र अगले साल सितंबर में खत्म होगा।
Un denies seat to myanmar junta taliban libyan rival government
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