मिस्र में वैश्विक जलवायु वार्ता सोमवार को अपने दूसरे भाग में प्रविष्ट कर गयी लेकिन इस बात को लेकर काफी अनिश्चितता बनी हुई है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कोई बड़ा समझौता हो पायेगा या नहीं? करीब 200 देशों के हजारों प्रतिनिधि, पर्यवेक्षक, विशेषज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार एक दिन के अवकाश के बाद शर्म-अल-शेख के रेड सी रिसार्ट के सम्मेलन क्षेत्र में लौट आये हैं। संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष जलवायु अधिकारी सिमोन स्टील ने वार्ता के उद्घाटन के समय की गयी बड़ी बड़ी बातों को चरितार्थ की दिशा में रचनात्मक कूटनीति की अपील की।
स्टील ने कहा, ‘‘ वार्ताकारों को मैं याद दिलाना चाहता हूं कि लोगों और ग्रह को इस प्रक्रिया के सफल होने का भरोसा है। मिस्र में बचे अपने बाकी समय का हम आगे बढने के लिए सहमति बनाने में उपयोग करें। ’’ उन्होंने पेरिस जलवायु संधि में बनी सहमति के अनुरूप वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने, जलवायु परिवर्तन के अनुकूल अपने को ढालने तथा उसके (जलवायु परिवर्तन के) प्रभावों से निपटने की कोशिश कर रहे देशों को वित्तीय मदद पहुंचाने के लक्ष्यों का हवाला दिया।
जलवायु परिवर्तन बैठकों के लंबे समय से पर्यवेक्षक रहे पर्यावरण थिंक टैंक के ई थ्री जी के अल्देन मेयर ने कहा कि दरअसल बाली के जी-20 तथा शी -बाइडेन भेंट में जो कुछ होगा, वह इस दृष्टि से अहम होगा कि जलवायु परिवर्तन में क्या होता है। उन्होंने कहा कि यदि जी-20 में जलवायु पर बात आगे बढती है तो मिस्र में आसानी होगी लेकिन यदि उनमें खासकार 1.5 (डिग्री) पर बात नहीं बनती है तो यह जलवायु सम्मेलन को कमतर करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘ बाली में दोनों राष्ट्रपति क्या तय करते हैं, वह शर्म-अल-शेख के आखिरी निर्णय पर सीधा असर डालेगा।
Uncertainties about climate conference goals to tackle climate change
Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero