इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बृहस्पतिवार को कानपुर स्थित छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक के मामले की सुनवाई 10 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी। अदालत के शुरू होते ही पाठक के अधिवक्ता एल पी मिश्रा ने मामले में पूरक शपथ पत्र दाखिल करने की अनुमति मांगी, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया।
वहीं अदालत ने राज्य सरकार को भी जवाबी हलफ़नामा दाखिल करने के लिए समय प्रदान किया व मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 नवंबर की तिथि नियत की। यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वी के सिंह की खंडपीठ ने पाठक की याचिका पर दिया। अदालत ने इस दौरान पाठक को कोई अंतरिम राहत नहीं दी है। पाठक ने मंगलवार को उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देने के लिए अदालत का रुख किया था।
उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने मंगलवार को पाठक और एक्सएलआईसीटी कंपनी के मालिक अजय मिश्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार और वसूली के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की थी। गौरतलब है कि पाठक व मिश्रा के खिलाफ सबसे पहले 29 अक्टूबर को इंदिरा नगर थाने में डेविड मारियो डेनिस ने प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि पाठक के आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति रहने के दौरान उसके कम्पनी द्वारा की गए कार्यों के भुगतान के लिए आरोपियों ने 15 प्रतिशत कमीशन वसूला।
प्राथमिकी में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उससे कुल एक करोड़ 41 लाख रुपये की वसूली अभियुक्तों द्वारा जबरन की जा चुकी है। शिकायतकर्ता ने आरोपियों से जान का खतरा होने की भी आशंका जताई थी। पाठक इस साल जनवरी से सितंबर तक आगरा विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति थे। एसटीएफ ने रविवार को आरोपी अजय मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया था। मिश्रा भी विश्वविद्यालय में परीक्षा से जुड़े कार्यों का संचालन करता है। उस पर कुलपति से मिलीभगत करने का आरोप है।
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