देहरादून। गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों ने जोशीमठ की स्थिति के बारे में जानने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की और ‘सब्सिडेंस जोन’ (प्रभावित क्षेत्र) में भूमिगत जल जमाव के स्थान का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया। ऐसा माना जा रहा है कि जमीन के नीचे पानी जहां जमा हुआ है वह इलाका जोशीमठ में है लेकिन अभी पानी के स्रोत का पता नहीं चल पाया है। अधिकारियों के केंद्रीय दल ने कहा कि प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए पहचाने गए क्षेत्रों का भी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।
आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने सोमवार को पत्रकारों को बताया कि इस मुद्दे को हल करने के लिए संबंधित सभी संस्थानों के वैज्ञानिकों की मदद ली जाएगी और राज्य सरकार को केंद्र की ओर से हर संभव सहायता दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय टीम से कहा कि जोशीमठ सांस्कृतिक, धार्मिक और सामरिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण शहर है और इसके जीर्णोद्धार के लिए एकीकृत प्रयासों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि इलाके को बचाने और प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार आपदा प्रभावित शहर के लोगों के लिए एक राहत पैकेज तैयार कर रही है, जिसे जल्द ही केंद्र को भेजा जाएगा। जोशीमठ में जमीन धंसने से बुरी तरह प्रभावित दो होटलों को ‘‘यांत्रिक रूप से हटाने’’ का भी फैसलाा किया गया है।
Uttarakhand central officials meet cm to assess situation in joshimath
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