इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भाजपा के अयोग्य घोषित पूर्व विधायक विक्रम सैनी की अपील पर मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सैनी ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा मामले में अपनी दोषसिद्धि को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति समित गोपाल ने सैनी के वकील और राज्य सरकार के वकील की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान सैनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आईके चतुर्वेदी और उनके सहयोगी आदित्य उपाध्याय ने अपनी दलील में कहा कि उनके मुवक्किल को राजनीतिक बदले की भावना से इस मामले में फंसाया गया है क्योंकि जब 2013 में मुजफ्फरनगर दंगा हुआ था, उस समय विरोधी पार्टी की सरकार थी।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, इसमें किसी के घायल होने का मामला नहीं है और ना ही कोई सरकारी गवाह मौजूद है। अपीलकर्ता की ओर से यह दलील भी दी गई कि दोषसिद्धि के परिणाम स्वरूप विक्रम सैनी को विधायक पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया और उनकी विधानसभा सीट- खतौली रिक्त हो गई है। इसके अलावा, जनप्रतिनिधि कानून की धारा-8 के मुताबिक, वह छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते क्योंकि उन्हें अदालत द्वारा दोषी करार दिया गया है।
इसलिए, न्यायहित में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाई जानी चाहिए। खतौली विधानसभा सीट पर पांच दिसंबर को उपचुनाव होने जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, राज्य सरकार के वकील ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने की याचिका का विरोध किया। इससे पूर्व, 18 नवंबर को उच्च न्यायालय ने इस मामले में निचली अदालत द्वारा सैनी को सुनाई गई सजा निलंबित कर दी थी और साथ ही उसे जमानत भी दे दी थी।
Verdict reserved on appeal of disqualified former bjp mla vikram saini
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