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Exclusive: ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले से सनातनियों में जागी चेतना, जल्द होगी भोले बाबा की पूजा- विष्णु शंकर जैन

Exclusive: ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले से सनातनियों में जागी चेतना, जल्द होगी भोले बाबा की पूजा- विष्णु शंकर जैन

Exclusive: ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले से सनातनियों में जागी चेतना, जल्द होगी भोले बाबा की पूजा- विष्णु शंकर जैन

कुछ समय पहले कहा जाता था कि भारत के लोग पाश्चात्य सभ्यता की ओर आकर्षित हो रहे हैं और अपने सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति उनका लगाव नहीं रहा। लेकिन 2014 में नयी परिस्थितियां निर्मित होने के बाद नया भारत नयी अंगड़ाई लेने लगा। आज अपने सांस्कृतिक मूल्यों की ओर लौटने को भारत आतुर दिख रहा है। आखिर इस आतुरता का कारण क्या है? और क्या भारतीय परम्पराओं और अपने सांस्कृतिक मूल्यों की ओर लौट कर ही हम भारत को विश्व की महाशक्ति बना सकते हैं। इस विषय पर वरिष्ठ और लोकप्रिय अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने मार्गदर्शन किया। विष्णु शंकर जैन ने प्रभासाक्षी की 21वीं वर्षगाँठ सिर्फ प्रभासाक्षी परिवार के साथ इस परिचर्चा में अपने विचार साझा किए। 
 
उन्होंने कहा कि आज का युवा अपने सांस्कृतिक मुल्यों की तरफ आकर्षित होते हुए उन्हें अपनाने के इच्छुक है। 1200 वर्षों की गुलामी को झेलने के बाद युवाओं और आम जनता में जनचेतना जागी है क्योंकि हमें अपने विचारों को पूर्ण रूप से प्रकट करने का मौका मिला है। आजादी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 1947 में मिली आजादी के बाद सेक्युलरिज्म की मनगढ़ंत कहानी हमारे दिमाग में भरी गई थी जिससे हमारे दिमाग में काफी कुठाराघात पहुंचा। हालात ऐसे थे कि एक धर्म को आपस में बात करने से भी रोका जाता था, मगर वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आने के बाद लोगों के मन में बदलाव आया और तब अभिव्यक्ति की आजादी पर लगाए गए अंकुश को तोड़ा गया। उन्होंने कहा कि पहले के समय में हिंदुओं की आवाज को दबाया जाता था, मगर आज के समय में वर्षों तक दबी हुई आवाज को भी सुना जा रहा है। पहले के समय में भी आध्यात्मिक अनुभूति की आवाज उठाने वाले लोग थे, मगर उन्हें रोका जाता था। अब समाज में आवाज उठने लगी है, जो काफी बड़ा बदलाव है।
 
वहीं ज्ञानवापी मुद्दे को लेकर भी क्या लड़ाई राम मंदिर जैसे वर्षों तक लड़नी पड़ेगी? प्रभासाक्षी द्वारा किए गए सवाल पर उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मामले को लेकर लड़ाई जारी है। बाबा मिले हैं मगर अबतक कानूनी मोहर नहीं लगी है। ये लड़ाई कैसी है क्या इसके लिए राम मंदिर जैसी लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी ये कहना मुश्किल है मगर अहम ये है कि आज हम लड़ाई लड़ने के लिए जागे है। उन्होंने बताया कि लगभग ऑरंगजेब द्वारा 1669 को मंदिर को ध्वस्त किया था, जिसके बाद हिंदू पक्ष ने इस मामले पर पर 1991 में पहली बार सूट दाखिल किया जो एक बड़ा और सकारात्मक कदम है। ये मामला बीत 30 वर्षों से इलाहबाद हाईकोर्ट में पेंडिंग था। एडवोकेट कमीशन लगाने की इस मामले पर मांग की गई थी, जिसके बाद कमीशन ने इस शिवलिंग की जांच कराई है।
ये हैरानी की बात है कि मुस्लिम पक्ष इसे शिवलिंग की जगह फव्वारा बता रहा है। साथ ही वो इस शिवलिंग की एक्सपर्ट जांच कराए जाने के भी खिलाफ है। वहीं अब इलाहबाद हाईकोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे से जवाब मांगा है कि क्या ऐसा करना संभव है। ये लड़ाई काफी सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ी है। ये बात पहले से साबित हो चुकी है कि मंदिर को तोड़ा गया है, मगर अब मंदिर से दूसरों को बाहर निकालना मुख्य उद्देश्य है जिसमें हिंदू पक्ष को त्वरित न्याय मिलने की उम्मीद है। 
 
आम जनता के मन में जगाई उम्मीद
उन्होंने मौहम्मद गौरी का उदाहरण देकर बताया कि जब कोर्ट से पक्ष में न्याय नहीं मिलता है तो लोगों को परेशानी होती है। लंबे समय से हो रही इस लड़ाई के जरिए ये सत्य स्थापित हुआ है कि काशी में ज्ञानवापी में शिवलिंग है जहां वजू होता है। आम जनता को भी आने वाले समय में भगवान शिव का अभिषेक करना का अवसर मिलेगा, क्योंकि सच सामने आने में अधिक समय शेष नहीं रहा है। हमारी कोशिश है कि सर्वोच्च न्यायालय सीलिंग किए गए इलाके को अधिक समय तक जारी रखे। ये मामला जनभावना से जुड़ा है। जनता जल्द से जल्द वहां दर्शन करना चाहती है और भोले बाबा का पूजन करना चाहती है। 

Vishnu shankar jain says gyanvapi shringar gauri case awakened consciousness among the sanatani

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