स्वच्छता सारथी समारोह में आकर्षण बनी अपशिष्ट प्रबंधन प्रदर्शनी
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) कार्यालय द्वारा शुरू की गई 'स्वच्छता सारथी फेलोशिप' योजना के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में विगत 30 सितम्बर और 1 अक्तूबर को 'स्वच्छता सारथी समारोह' का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी में देश के 27 राज्यों और 6 केंद्र-शासित प्रदेशों से गत वर्ष चयनित 344 'स्वच्छता सारथी फेलो' ने अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े अपने कार्यों को पोस्टर, प्रोटोटाइप, आलेख प्रस्तुतिकरण और उत्पाद के रूप में प्रदर्शित किया।
'स्वच्छता सारथी फेलोशिप' के पहले बैच में 344 फेलो का चयन प्रबंधन की बढ़ती चुनौती के प्रभावी और वैज्ञानिक समाधान से संबंधित उनके विचारों एवं कार्ययोजनाओं के आधार पर किया गया है। इन स्वच्छता सारथियों ने विभिन्न प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों, जागरूकता अभियानों, कार्यशाला और गोष्ठियों तथा ऑडियो-वीडियो प्रस्तुति आदि के माध्यम से अपने-अपने क्षेत्रों में 2500 से अधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये हैं।
मिशन 'वेस्ट टू वेल्थ' के अंतर्गत पीएसए कार्यालय द्वारा 'इन्वेस्ट इंडिया' के साथ साझेदारी में लॉन्च की गई यह फेलोशिप, स्कूल, कॉलेज के छात्रों एवं सामुदायिक कार्यकर्ताओं और स्वच्छताकर्मियों को कचरा-प्रबंधन के प्रति सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने और कचरे को संसाधन के रूप में रूपांतरित करने के नवोन्मेषी समाधान प्रदान करने हेतु चिह्नित और अभिप्रेरित करने पर केंद्रित है।
पीएसए कार्यालय में वैज्ञानिक सचिव डॉ परविंदर मैनी ने इस दो दिवसीय समारोह के पहले दिन आयोजित प्रदर्शनी में स्वच्छता सारथियों के प्रदर्शित कार्यों को अलग-अलग स्टॉल पर जाकर देखा और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की महत्ता को रेखांकित करते हुए इस दिशा में किये जा रहे स्वच्छता सारथियों के मौलिक कार्यों और अपशिष्ट प्रबंधन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की।
समारोह को संबोधित करते हुए डॉ मैनी ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौती की गंभीरता को इंगित करते हुए कहा कि "भारत के 8000 से भी अधिक नगरों और कस्बों में लगभग 377 मिलियन लोग रहते हैं, जिनसे सालाना लगभग 62 मीट्रिक टन ठोस अपशिष्ट उत्पन्न होता है। इसमें से केवल 43 मीट्रिक टन ही एकत्र किया जा पाता है। एकत्रित कचरे में से केवल 11.9 मीट्रिक टन उपचारित किया जा पता है, और बाकी 31 मीट्रिक टन ठोस अपशिष्ट ऐसे ही डंप कर दिया जाता है।"
स्वच्छता सारथी फेलोशिप के लिए तीन अलग अलग कोटियां निर्धारित हैं। वर्ग 'ए' सामुदायिक अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े 9 वी से 12वीं कक्षा तक के स्कूली छात्रों के लिए है। पूर्व स्नातक से लेकर पीएचडी तक के छात्रों को यह फेलोशिप वर्ग 'बी' के अंतर्गत दी जाती है। सामुदायिक कार्यकर्ताओं और स्वच्छताकर्मियों के अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े प्रयासों के लिए निर्धारित वर्ग 'सी' है। वर्ग 'ए' के लिए एक वर्ष तक 500 रुपये मासिक, वर्ग 'बी' के लिए एक वर्ष तक 1000 रुपये प्रतिमाह और वर्ग 'सी' के लिए एक वर्ष तक 2000 रुपये मासिक की फेलोशिप दी जाती है।
स्वच्छता सारथी समारोह के दौरान प्रदर्शनी के अतिरिक्त अनेक चर्चा-सत्र और सेमिनार तथा स्वच्छता सारथियों के लिए वर्गवार कार्यशालाओं का भी आयोजन किया गया। इनमें वर्ग 'ए' के लिए 'फोल्डस्कोपी माइक्रोस्कोपी' तथा 'बी' और 'सी' वर्ग के लिए 'कार्बन क्रेडिट और सतत भविष्य' से जुड़ी कार्यशालाएं शामिल हैं।
समारोह के दूसरे दिन स्वच्छता सारथियों को नेहरू तारामंडल और राष्ट्रपति भवन संग्रहालय का भ्रमण कराया गया। समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि हरियाणा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भगवान सिंह चौधरी ने पीएसए, भारत सरकार कार्यालय द्वारा देश के अलग-अलग भागों से किशोरों, युवाओं और सामुदायिक कार्यकर्ताओं को एक-दूसरे के अपशिष्ट प्रबंधन के कार्यों -विचारों से सीखने का एक मंच देने के इस प्रयास की सराहना की।
पीएसए,भारत सरकार कार्यालय में साइंटिस्ट 'जी' डॉ मनोरंजन मोहंती ने सभी स्वच्छता सारथी फेलो को उनके अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े प्रयासों के लिए बधाई दी। इस अवसर पर आईटीसी के 'वेल्बीइंग आउट ऑफ वेस्ट' (WOW) कार्यक्रम द्वारा 21 स्वच्छता सारथी फेलो को 5000 रुपये की फेलोशिप और एक चयनित फेलो को 'वॉव' कार्यक्रम से जुड़ने का अवसर देने की भी घोषणा की गई।
(इंडिया साइंस वायर)
Waste management exhibition became attraction in swachhta charioteer festival